यूनिवर्सिटी कालेज में मातृभाषा साहित्यक समागम
यूनिर्वसिटी कालेज में मातृभाषा दिवस के अवसर पर पद्मश्री प्रोफेसर गुरदयाल सिंह पुस्तकालय हाल में साहित्यक समागम करवाया गया
संवाद सूत्र, जैतो
यूनिर्वसिटी कालेज में मातृभाषा दिवस के अवसर पर पद्मश्री प्रोफेसर गुरदयाल सिंह पुस्तकालय हाल में साहित्यक समागम करवाया गया। कालेज प्रिसीपल डा. परमिन्दर सिंह तग्गड़ की प्रेरणा और नेतृत्व अधीन करवाए गए साहित्यक समागम में मुख्य मेहमान के तौर पर प्रसिद्ध कहानीकार गुरमीत कड़्यालवी जिला समाज भलाई अफसर और विशेष मेहमान के तौर पर लेखक कश्मीरी लाल चावला सुशोभित थे।
मुख्य मेहमान गुरमीत कड़्यालवी ने मातृभाषा प्रति मानव की जिम्मेदारी प्रति विचार पेश किये। विद्यार्थियों को अपनी सफलता की कहानी बयान करते जिदगी के साथ जुड़ी घटनाओं बारे साहित्यक हवाले भी पेश किये और साकारात्मक ²ष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि मानव का सब से पहले साकारात्मक समर्थक होना, उस उपरांत रचनात्मक ²ष्टिकोण होना जरूरी है तो ही सही अर्थों में सामाजिक विकास संभव हो सकता है। कश्मीरी लाल चावला ने हायकू काव्य-विधा बारे विद्यार्थियों को जानकारी दी और 51 किताबों का सेट कालेज पुस्तकालय को भेंट किया। डा. सम्राट खन्ना ने कहा कि मानव होने के नाते हमें ख्याल, भाव और इच्छा के सुमेल के साथ भाषा के विकास में योगदान डालना चाहिए। समागम का बाखूबी संचालन डा. दिव्य ज्योति ने साहित्यक अंदाज में किया। डा. गुरबिन्दर कौर बराड़ ने डा. सुरजीत पात्र की रचना साझी की। विद्यार्थियों में बीएससी नान मेडिकल समेस्टर चौथा की दिलप्रीत कौर और बीए. समेस्टर छटा की सुरिन्दर कौर ने मातृभाषा बारे विचार पेश किये और बीए. समेस्टर छटा के ईश्वर सिंह ने ''गुरमुखी का बेटा गीत के साथ अपनी रचना पेश की। इस मौके प्रो. शिल्पा कांसल, प्रो. जगसीर सिंह और डा. भवनदीप कौर उप्पल भी उपस्थित थे।