सिविल में शाम पांच बजे के बाद ठप रहती है आपातकालीन सेवाएं
जिला फरीदकोट के उपमंडल जैतो शहर समेत इसके आसपास के 40-45 गांवों से सम्बंधित करीब एक लाख आबादी को सरकारी सेहत सेवाओं के लिए एकमात्र सरकारी अस्पताल जैतो शहर में है जोकि पिछले लंबे समय से डॉक्टरों समेत अन्य सेहत कर्मियों व सुविधाओं की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है। इस अस्पताल के हालात ऐसे है कि शाम पांच बजे के बाद यहां पर आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर दी जाती है। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना होती है या किसी को अचानक कोई सेहत की तकलीफ हो जाए है तो यहां पर उन्हें प्राथमिक सहायता नसीब नही होती और मरी•ा को अस्पताल के गेट से ही बठिडा या फरीदकोट भेज दिया जाता है।
राजीव शर्मा, जैतो
जिला फरीदकोट के उपमंडल जैतो शहर समेत इसके आसपास के 40-45 गांवों से संबंधित करीब एक लाख आबादी को सरकारी सेहत सेवाओं के लिए एकमात्र सरकारी अस्पताल जैतो शहर में है जोकि लंबे समय से डॉक्टरों समेत अन्य सेहत कर्मियों व सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है।
इस अस्पताल के हालात ऐसे हैं कि शाम पांच बजे के बाद यहां पर आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर दी जाती हैं। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना होती है या किसी को अचानक कोई सेहत की तकलीफ हो जाए है तो यहां पर उन्हें प्राथमिक सहायता नसीब नही होती और मरीज को अस्पताल के गेट से ही बठिडा या फरीदकोट भेज दिया जाता है।
सिविल अस्पताल में नियम के मुताबिक सात डॉक्टरों की जरूरत है लेकिन यहां पर सिर्फ दो ही डॉक्टर मौजूद है जबकि बाकी सभी विभाग खाली पड़े है। अस्पताल के ऐसे हालात के चलते एक बार यहां पर अस्पताल प्रशासन ने लिखित सूचना भी लिख कर लगा दी थी कि इस अस्पतल मे डॉक्टर न होने की वजह से अपातकालीन सेवाएं उपलब्ध नहीं है। अस्पताल की बदहाल स्थिति के कारण इलाके के लोग काफी निराश है। गरीब वर्ग के लोगों को सरकारी सेहत सेवाओं का कोई लाभ नहीं मिल रहा और वह इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर है। शहरवासियों का मानना है कि जरा सी चोट वाले मरीजों को भी अस्पताल में दाखिल नहीं किया जाता और उन्हें फरीदकोट रेफर कर दिया जाता है। आसपास के गांवों से इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीज डॉक्टर ना मिलने के कारण निराश लौटते है। लोगों में रोष है कि जैतो अस्पताल में ना तो स्टाफ पूरा है और न ही डॉक्टर जिसके चलते यह सफेद हाथी साबित हो रहा है और मरीज प्राइवेट अस्पतालों में लूट का शिकार हो रहे है।
समाजसेवी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही एंबुलेंस गाड़ी के ड्राइवर ने बताया कि हम जब कभी किसी दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं तो उन्हें हर बार डॉक्टर नहीं होने के चलते दूसरे अस्पताल भेज दिया जाता है। हालांकि बाकी अस्पताल 40-40 किलोमीटर दूर हैं जिसके चलते कई बार मरीज को जान से भी हाथ धोना पड़ जाता है। शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने मांग रखी है कि पंजाब सरकार व जिला प्रशासन अस्पताल के हालात सुधारने की तरफ ध्यान दें और डॉक्टरों की कमी को दूर करके 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं मुहैया करवाएं। इनसेट
सात की जगह मात्र दो डाक्टर : एसएमओ
सिविल अस्पताल में 7 डॉक्टरों के मुकाबले महज 2 डॉक्टर ही हैं जिसके चलते सेहत सेवाएं प्रभावित होना स्वाभाविक है। हमारा प्रयास अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाना का रहता है। डॉक्टर की कमी के चलते कई बार आपातकालीन सेवाएं देने में भी मजबूरी हो जाती है और ज्यादा सुविधाएं न होने के कारण हम घायल को दाखिल भी नहीं कर सकते जिसके चलते उन्हें रेफर करना पड़ता है।
डॉ.चंद्र प्रकाश, एसएमओ
सिविल अस्तपाल जैतो