Move to Jagran APP

संतान की भलाई के लिए रखा जाता है व्रत

भारतीय ¨हदु नारी अपने पति की खुशहाली एवं लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखतीं हैं,ऐसे ही संतान की लंबी आयु निरोगता एवं अच्छे संस्कारों की कामना के लिए अहोई माता अष्टमी का व्रत करती है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में जिस दिन सांयकाल में स्थापित अष्टमी तिथि विधामन हो ,उस दिन किया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 05:40 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 06:02 PM (IST)
संतान की भलाई के लिए रखा जाता है व्रत
संतान की भलाई के लिए रखा जाता है व्रत

संवाद सहयोगी, फरीदकोट

loksabha election banner

भारतीय ¨हदू नारी अपने पति की खुशहाली एवं लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखतीं हैं। ऐसे ही संतान की लंबी आयु, निरोगता एव अच्छे संस्कारों की कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में किया जाता है। इस बार यह व्रत 31 अक्टूबर बुधवार को मनाया जा रहा है। इस पर्व को लेकर बाजारों में रौनक है। अहोई माता की पूजा करने के लिए सामग्री की दुकान सजी है वहीं लोगों द्वारा भी पर्व मनाने के लिए खरीदारी की गई। पूजा सामग्री देने वाले दुकानदार रेशम ने लोगों द्वारा अहोई माता का कैलेंडर व मिट्टी का करवा आदि खरीदा जा रहा है।

इस पर्व पर घर में अहोई माता की फोटो की पूजा स्थल पर लगाकर घर के बुजुर्ग अपने बच्चों का नाम लिखते हैं। महिलाओं द्वारा बच्चों की तंदुरुस्ती के लिए व्रत रखकरपूजा की जाती है और ब्राहमणों से कथा सुनते हैं।

पंडित ध्रुव प्रसाद शास्त्री ने बताया कि यह व्रत 31 अक्टूबर बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन वंश वृद्धि एवं परिवार की मंगल कामना करते हुए सुबह स्नान आदि के उपरांत अहोई माता का ध्यान करते हुए व्रत आरंभ कर सहायक कालचक्र पूर्व दिशा के सामने वाली दीवार पर ही माता का चित्र या तस्वीर बनानी चाहिए। माता की पूजा में धूप, दीप, रोली, मोली, चावल, पुष्प,मिठाई आदि रखनी चाहिए। विशेष रूप में आटे का हलवा बनाया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.