ज्ञान का भंडार है श्रीमद्भागवत गीता : स्वामी सूर्यदेव
हर वर्ष की भांति इस वर्ष की विप्र वैदिक परिषद द्वारा गीता जयंती धूम धाम से मनाई गई । इस बारे में जानकारी देते हुए परिषद के प्रधान पंडित रमेश पराशर ने बताया कि गीता जयंती का भव्य उत्सव गेला राम मेमोरियल ट्रस्ट में आयोजित किया गया जिसमें अनन्त विभूषित श्री श्री 100
संवाद सहयोगी, फरीदकोट
हर वर्ष की भांति इस वर्ष की विप्र वैदिक परिषद द्वारा गीता जयंती धूमधाम से मनाई गई। परिषद के प्रधान पंडित रमेश पराशर ने बताया कि गीता जयंती उत्सव गेला राम मेमोरियल ट्रस्ट में आयोजित किया गया। इसमें स्वामी कमलानंद गिरी हरिद्वार वाले ओर अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी सूर्यदेव जी ने गीता की सरल व्याख्या कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया
स्वामी सूर्यदेव ने कहा कि शास्त्रों में प्रमाण मिलता है कि भारत आदि काल से ही परमाणु शास्त्र संपन्न रहा है। महाभारत काल मे जब अर्जुन और अश्वधामा के बीच युद्ध हो रहा था तो एक समय ऐसा आया कि दोनों ब्रह्मास्त्र छोड़ने पर उतारू हो गए थे। तब महर्षि ब्यास बीच में आए और बोले तुम्हे पता भी है इन अस्त्रों से पृथ्वी का कितना नुकसान होगा अपने शस्त्र वापस बुलाओ। उस समय यह तकनीक विकसित हो चुकी थी कि हम छोड़े गए अस्त्र मिसाइल वापस बुला सकते थे। उन्होंने कहा कि उस समय भी आवाज को लक्ष्य कर बाण लक्ष्य निर्धारित कर सकते थे। उन्होंने नवयुवकों से गीता अध्ययन करने के लिए उत्साहित किया।
परिषद के सरपरस्त पंडित ध्रुव शास्त्री द्वारा आए हुए अतिथि गन का धन्यवाद करते हुए कहा कि सनातन धर्म में श्रीमद्भागवतगीता का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि परिषद युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने और भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने हेतु प्रेरित कर रही है।
इस अवसर परिषद के अध्यक्ष रमेश पराशर,उपाध्यक्ष प्रबोध शर्मा, वेद प्रकाश, कमल किशोर, कोषाध्यक्ष दयाशंकर त्रिपाठी महामंत्री कमलेश जी सदस्यगण वंशीधर दीक्षित, मनोज शर्मा, मूलचंद शर्मा, पवन शर्मा, भवानी शंकर, मनीष कुमार, खेमचंद शास्त्री ,गौरव दिक्षित, अवधेश पाराशर, पं सुरेश शर्मा के साथ श्री ब्राह्मण सभा रजि के प्रधान राकेश शर्मा उपस्थित थे।