पराली जलाते नहीं, गांठें बनाकर बेचते हैं
पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए जिला प्रशासन कृषि और किसान विकास विभाग प्रयास कर रहा है।
जासं, फरीदकोट
पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए जिला प्रशासन, कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा किए गए प्रयासों का सुखद असर दिखाई देने लगा है। जिले के बहुत सारे किसान पराली जलाने को न कह कर पराली का प्रयोग अपने फायदे के लिए करने लगे हों। चाहे यह फायदा भूमि के उपजाऊ शक्ति बढ़ाने का हो या फिर पराली को बेच का फायदा कमाने का।
कोटकपूरा ब्लाक के गांव वांडर जटाना के प्रगतिशील किसान मनप्रीत सिंह के खेतों का दौरा करने पर देखा गया कि धान की कटाई के बाद यह प्रगतिशील किसान पर्यावरण हितैषी साबित हो रहे स्ट्रा बेलर से गांठें बना रहा है। पराली की यह गांठे वह गांव सेधा सिंह वाला में बने बायोमास प्लांट पर बेंचेंगे जहां पर इसका इस्तेमाल ईंधन के लिए किया जाएगा।
किसान मनप्रीत सिंह ने कहा कि पराली जलाने से मानव जीवन, पर्यावरण और समग्र जीवन को होने वाले नुकसान से पूरी तरह अवगत होने के बाद उन्होंने कई वर्षों तक अपने खेत पराली नहीं जलाई, क्योंकि पराली जलाने से किसानों को ही परेशानी होती है। खेत में किसान हितैषी कीड़े जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं, जैविक कार्बन जो खेतों में कार्बनिक पदार्थों को बढ़ाते हैं नष्ट हो जाते हैं। पराली में मौजूद पोषक तत्व वायु को जलाने, प्रदूषित करने से नष्ट हो जाते हैं, जिससे मनुष्यों और जानवरों के लिए मुश्किल हो जाती है, सांस लेने में परेशानी होने के साथ इसका बुरा असर पर्यावरण पर भी पड़ता है।
जिले के मुख्य कृषि अधिकारी डा. बलविदर सिंह ने मनप्रीत सिंह के प्रयास की सराहना की और जिले के बाकी किसानों से पराली का प्रबंधन कर पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में मदद करने की अपील की।