आस्था का केंद्र है मंदिर श्री ठाकुर जी
मंदिर श्री ठाकुर जी यानि सेठों वाला वाला मंदिर शहर का सबसे पुराना है।
दीपक गर्ग, कोटकपूरा
मंदिर श्री ठाकुर जी यानि सेठों वाला वाला मंदिर शहर का सबसे पुराना ठाकुर मंिदर माना जाता है। कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने ज्यादा कुछ नहीं किया बस इस मंदिर में मंगलवार के दिन हनुमान जी को नियमित प्रसाद अर्पित कर बाहर बैठे बच्चों में बांट देते थे। आज उनकी गिनती कोटकपूरा के अमीरों में होती है। इस मंदिर में हर वर्ष नवरात्र से पहले 51 या 108 श्री रामचरितमानस के पाठ करवाए जाते हैं। शहर की लड़कियां यहाँ रामायण पाठ करने आती है। रामजी की ऐसी कृपा रही है कि निर्धन या मध्यमवर्गीय घरों की बहुत सी लड़कियों की शादी भी अमीर घरों में होती देखी गई है।
इस मंदिर का निर्माण भिवानी से कोटकपूरा आकर आढ़त का व्यवसाय करने वाले सेठ जीवनराम खेमका और सेठ केदारनाथ खेमका ने 1912 में करवाया था। इससे पांच साल पहले 1907 में उन्होंने यहाँ पर एक धर्मशाला भी बनाई गई थी।
कोटकपूरा में खेमका परिवार के वशंज सेठ विनोद खेमका ने बताया कि उनके बुजुर्गों पर ठाकुर जी की इतनी कृपा हुई कि उन्होंने 1914 में ट्रस्ट बना कर अपनी निजी कमाई से बहुत सी जमीन जायदाद उस ट्रस्ट के नाम कर दी ताकि मंदिर और धर्मशाला के संचालन को लेकर कोई परेशानी न आये। आज कोटकपूरा में सेठ जीवन राम केदारनाथ धर्मादा ट्रस्ट की काफी दुकानें और जमीन जायदाद है जिसकी कीमत अरबों में है। ट्रस्ट की कुछ संपति पर कब्जा भी है जिसे वो अदालत की मदद से छुड़वाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका सपना है कि नाजायज कब्जे हटने के बाद कोटकपूरा में ट्रस्ट की जायदाद में उच्चशिक्षा के लिए कोई बड़ा संस्थान या हस्पताल बनवाया जाए।
लॉकडाउन के चलते भले ही मंदिर में रौनक कम दिखाई देती है। लेकिन कुछ वर्ष पहले खेमका परिवार के वशंज चेन्नई निवासी सेठ मधुसूदन खेमका की अगुवाई में शरदपूर्णिमा को भजन संध्या प्रोग्राम करवाया गया था तो वो आज तक श्रद्धालुओं को याद है।