एमएसपी पर कांग्रेस, आप किसानों को कर रही है गुमराह
एमएसपी पर किसानों व आढ़तियों को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गुमराह कर रही हैं। किसानों की फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पहले जो थी अब है और भविष्य में भी जारी रहेगी।
जागरण संवाददाता, फरीदकोट : एमएसपी पर किसानों व आढ़तियों को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गुमराह कर रही हैं। किसानों की फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पहले जो थी, अब है और भविष्य में भी जारी रहेगी।
उक्त बातें राष्ट्रीय सचिव भाजपा किसान मोर्चा और प्रभारी जम्मू और कश्मीर सुखमिदरपाल सिंह ग्रेवाल ने फरीदकोट में कही। उन्होंने कहा कि अनाज मंडियां हमेशा की तरह काम करेंगी और सरकार मौजूदा व्यवस्था के अनुसार मंडियों से किसानों के हर अनाज की खरीद के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने जैसा झूठ पंजाब में नशा खत्म करने, कर्जा माफ करने के लिए बोला था वैसे ही अब एमएसपी के नाम पर बोल रहे हैं, इसमें उनका साथ आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि फसलों की तर्ज पर ही देश में विद्युत एक ही कीमत पर खपतकार को मिले, इसलिए भारत सरकार द्वारा विद्युत अधिनियम पूरे देश में लागू होगा, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो किसानों की आमदनी दुगनी करने का वादा किया था, उसको पूरा किया जा रहा है और निश्चय ही किसानों की आमदनी दुगनी होगी। इस अवसर पर उनके साथ विजय छाबड़ा जिला अध्यक्ष भाजपा, गगन सुखीजा जिला महामंत्री, राजेश सेठी बॉर्बी मंडल अध्यक्ष, भूषण बंसल जिला कैशियर तथा राकेश शर्मा जिला मीडिया इंचार्ज मौजूद रहे। कॉमेडी में सबकुछ चलता है पर हकीकत में नहीं
ग्रेवाल ने भगवंत मान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कॉमेडी में सब कुछ चलता है, लेकिन हकीकत में ना कभी कुल्फी गर्म थी, ना है और ना ही कभी होगी। हाल ही में तीन अध्यादेश जारी किए गए जिसमें विभिन्न उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, विविधता (सशक्तीकरण और सुरक्षा) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर समझौता, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश। यह अध्यादेश गेम चेंजर साबित होंगे। इन सुधारों के साथ, अब किसान जहां चाहें अपना उत्पाद बेच सकते हैं, इससे पहले, किसानों को राज्य सरकार की सुविधाओं पर अपनी उपज को लाइसेंस धारकों को बेचने के लिए मजबूर किया गया था।