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एजुकेशन प्रोवाइडर एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन

देशभर में कोरोना महामारी के चलते लगाए लॉकडाऊन क‌र्फ्यू के बाद केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से अब अधिकतर व्यापारिक संस्थानों दुकानों होटल रेस्टोरेंट दफ्तरों और दूसरे वर्गों को कामकाज करने की छूट दे दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 10:38 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 10:38 PM (IST)
एजुकेशन प्रोवाइडर एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन
एजुकेशन प्रोवाइडर एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, कोटकपूरा : देशभर में कोरोना महामारी के चलते लगाए लॉकडाऊन क‌र्फ्यू के बाद केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से अब अधिकतर व्यापारिक संस्थानों, दुकानों, होटल, रेस्टोरेंट, दफ्तरों और दूसरे वर्गों को कामकाज करने की छूट दे दी गई है। इसके अलावा बसों में 100 फीसद सवारियों को बैठने की इजाजत दे दी गई है, शराब का कारोबार करने के लिए ठेके खोल दिए गए हैं, मैरिज पैलेसों और रेस्टोरेंटों में 50 व्यक्तियों के समागम की मंजूरी दे दी गई है। पिछले तीन महीनों से भी अधिक का समय बीत जाने के उपरांत शिक्षण संस्थान अभी भी बंद हैं और इनके संचालकों को गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है। इन शब्दों का प्रकटावा करते एसोसिएशन ऑफ एजुकेशन प्रोवाइडर्स के प्रधान बलजीत सिंह खीवा और चेयरमैन बरिदर सिंह ने कहा कि यदि बसों में 100 सवारियों को बैठने साथ कोरोना नहीं फैल सकता तो हमारे शिक्षण संस्थानों में कोविड -19 की हिदायतों की पालना करते पढ़ाई करवाने के साथ कैसे फैल सकता है। प्रेस सचिव गगनदीप जिंदल और जनरल सचिव ओम प्रकाश गोयल ने कहा कि सरकार की बुरी नीतियों के चलते बच्चों को रोजगार के साधन मुहैया करवाने वाले शिक्षण संस्थान ही अब बेरोजगार होते नजर आ रहे हैं। वरिष्ठ उपप्रधान अर्शदीप सिंह बराड़ और सचिव जतिंदर चावला ने कहा कि ज्यादातर बंद पड़े शिक्षण संस्थान किराये की बिल्डिगों में होने के कारण भारी किराये भरने से असमर्थ हो चुके हैं और अपने सेंटर बंद करने की कगार पर हैं। एसोसिएशन आफ एजुकेशन प्रोवाइडर्स पंजाब की तरफ से रोष प्रकट करते रिक्शों पर रोष रैली निकाली गई, जो कि शहर के बस स्टैंड से शुरू हो कर बत्तीयां वाला चौंक, जैतो रोड, रेलवे रोड, ढोढा चौंक, फौजी रोड से होते हुए एसडीएम दफ्तर में समाप्त हुई। उपरांत एसोसिएशन का एक शिष्टमंडल तहसीलदार कोटकपूरा रजिदर सिंह सरां को मिला और अपनी, माँगों संबंधित ज्ञापन सौंपा। एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि उनके बंद पड़े शिक्षण संस्थान जल्द से जल्द न खोले गए तो वे तीखा संघर्ष करने के लिए मजबूर होंगे, जिसकी हर जिम्मेवारी सरकार की होगी।

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