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नहीं बढ़ रही विद्यार्थियों की संख्या, आनलाइन क्लास भी लगानी पड़ रही

19 अक्टूबर से 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल में पढ़ने के लिए सरकार द्वारा कुछ हिदायतों की पालना करते हुए स्कूल खोलने की इजाजत दे दी गई है। फिर भी स्कूलों में अपेक्षाकृत विद्यार्थियों की संख्या का न बढ़ना स्कूल प्रबंधकों के लिए चिताजनक है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 09:21 AM (IST)
नहीं बढ़ रही विद्यार्थियों की संख्या, आनलाइन क्लास भी लगानी पड़ रही
नहीं बढ़ रही विद्यार्थियों की संख्या, आनलाइन क्लास भी लगानी पड़ रही

संवाद सहयोगी, फरीदकोट : करीब सात महीने के बाद भले ही स्कूल खुल चुके हैं, लेकिन देखने में आया है कि चार दिन के बाद भी स्कूलो में बच्चो के आने का रुझान कम है। इसके अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। जैसे एक अभी बच्चों के पैरेंट्स के दिमाग मे कोरोना को लेकर डर है। दूसरा सात महीने स्कूल बंद रहने पर बच्चों में स्कूल प्रति आलस आ चुका है और बच्चे घर मे ही आनलाइन क्लास लगाना पसंद कर रहे हैं। इस समय स्कूलों में बच्चो की गिनती काफी कम है। इससे स्कूल में अध्यापकों पर भी अतिरिक्त बोझ आ गया है, स्कूल भले ही खुले है परंतु विद्यार्थियों की संख्या कम होने के कारण अध्यापकों को क्लास लगाने के साथ आनलाइन पढ़ाई के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है।

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इस संबंध में फरीदकोट शहर स्थित खालसा स्कूल की प्रिसिपल भूपिदर कौर से बात की तो उन्होंने कहा के 9वीं से 12वीं कक्षा तक उनके स्कूल में करीब 350 विद्यार्थी है। पहले दिन 42 विद्यार्थी ही स्कूल पहुंचे। अब उनकी गिनती भी घट कर 20 के करीब ही रह गई है। अब कोरोना का डर कम है क्योंकि स्कूलों में सभी हिदायतों की पालना की जा रही है और बच्चे भी समझदार है। जो सभी एहतियात बरत सकते हैं। इसलिए वह सरकार से मांग करते है कि स्कूलों में विद्यार्थियों का आना लाजमी किया जाए न कि उन्हें अपनी मर्जी पर छोड़ा जाए। आगे चल कर इन बच्चों जिस किसी भी फील्ड में जाना है, वहा एंट्रेंस टेस्ट जरूरी है। घर मे रहकर बच्चों की वह पढ़ाई नहीं हो सकती जो स्कूल में क्लास लगा कर हो सकती है। वहीं आनलाइन क्लासों में बच्चे आलसी हो रहे है और पढ़ाई में भी पिछड़ रहे है। अभी कुछ समय है। फाइनल पेपरों से पहले कुछ तैयारी हो सकती है और ये तभी संभव होगा जब बच्चे स्कूल में आएंगे।

स्कूल जाने वाले बच्चों का भी कहना है कि आनलाइन क्लास में विद्यार्थी या तो मोबाइल में कोई न कोई गेम खेल रहे होते हैं या फिर आराम से बैठे खा-पी रहे हैं। पढ़ाई सिर्फ नाम की है और अगर वो स्कूल में जाते है तो वो अध्यापकों से सीधे अपने डाउट स्पष्ट कर सकते हैं। बच्चे घर पर रहकर हो रहे आलसी : पैरेंट्स

बच्चों के पैरेंट्स ने भी यहीं कहा कि विद्यार्थी घर मे रहकर आनलाइन पढ़ाई में अपना बढि़या परफार्मेंस नही दे सकते, जितना स्कूल में रहकर अपनी पढ़ाई को बढि़या तरीके से कर सकेंगे। दिमागी तौर पर और शारीरिक तौर पर बढि़या तरीके से विकास हो सकेगा। घर में रहकर बच्चे आलसी हो रहे हैं और स्कूलों के प्रति उनका प्यार कम हो रहा है। इसलिए जरूरी है के वो स्कूल में जाकर अपनी पढ़ाई करे।


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