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युवा आतंकी छिपाने को कुख्‍यात मूसा कर रहा शिक्षण संस्थानों का इस्तेमाल

अंसार गजवा उल हिंद का सरगना जाकिर मूसा अपने युवा आतंकियों को छिपाने के लिए पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली के श्‍ािक्षण संस्‍थानों का इस्‍तेमाल कर रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 01:02 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 01:02 PM (IST)
युवा आतंकी छिपाने को कुख्‍यात मूसा कर रहा शिक्षण संस्थानों का इस्तेमाल
युवा आतंकी छिपाने को कुख्‍यात मूसा कर रहा शिक्षण संस्थानों का इस्तेमाल

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। युवा आतंकियों को खुफिया नजरों से बचाने के लिए अातंकी संगठन अंसार गजवा उल हिंद का सरगना जाकिर मूसा अब श्‍ािक्षण संस्‍थानों का इस्‍तेमाल कर रहा है। वह कश्‍मीरी युवाओं व छात्रों को अपने जाल में फंसाकर उन्‍हें छिपाने के लिए पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली के शिक्षण संस्थानों का इस्तेमाल कर रहा है।

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पंजाब, हिमाचल, हरियाणा तथा दिल्ली के कई शिक्षण संस्थानों का इस्तेमाल

कश्मीरी आतंक के नए चेहरे मूसा के अंसार गजवा उल हिंद आतंकी संगठन ने इन राज्यों के कई शिक्षण संस्थानों में अपने दर्जनों आतंकियों को छिपा रखा है। शिक्षण संस्थानों को इसकी भनक भी नहीं है। वेरीफिकेशन में इनके पकड़े जाने की संभावना न के बराबर है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में इनके ऊपर कोई मामला दर्ज नहीं है। वहां पर इनकी पहचान साधारण छात्र के रूप में ही है।

पुलिस वेरीफिकेशन की सुविधा है, लेकिन कोई करवाता ही नहीं

एक साल पहले कश्मीरी आतंक के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पोस्टर ब्वाय बने मूसा ने सोशल मीडिया के जरिए कश्मीर के 300 से ज्यादा युवाओं को सक्रिय रूप में अपने साथ जोड़ा है। इन्हें आतंक की नर्सरी में शामिल होने के बाद अलकायदा के विशेष आतंकी इन्हें साइबर वर्ल्‍ड और क्राइम की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इन्हें असलहा चलाने की बेसिक ट्रेनिंग दी गई है। असलहों को अलग-अलग करने व उसे जोड़ने के साथ-साथ विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल करके उसे बम या विस्फोट के रूप में तैयार करने की भी ट्रेनिंग दी गई है। ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के लिए आधार कार्ड को ही वेरीफिकेशन मान कर खानापूर्ति कर ली जाती है। इसका लाभ मूसा ने लिया।

मूसा खुद भी चंडीगढ़ की एक यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका है। इसलिए उसे इन नियमों के बारे में व हास्टल के इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी थी। यही वजह है कि युवा आतंकियों को छिपाने के लिए मूसा ने ज्यादातर निजी संस्थानों को ही चुना है। वहां दाखिला आसान है और सैकड़ों सीटें खाली रह जाती हैं।

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जम्मू की एक प्लेसमेंट कंपनी भी आई रडार पर

मूसा ने यह सारा खेल खुद न खेल कर जम्मू-कश्मीर की एक प्लेसमेंट कंपनी का भी सहारा लेकर खेला है। उक्त प्लेसमेंट कंपनी को भी इसकी भनक नहीं थी कि जिन्हें वह पढ़ाई के लिए थोड़ा सा कमीशन लेकर अन्य राज्यों के शिक्षण संस्थानों की राह दिखा रही है वे देश का भविष्य नहीं हैं, बल्कि भविष्य से खेलने वाले हैं।  पुलिस ने उक्त कंपनी का भी रिकार्ड खंगालना शुरू कर दिया है।

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शिक्षण संस्थान खुद भी खोलते थे कैंप आफिस

उक्त राज्यों के कई शिक्षण संस्थान दाखिलों के समय में जम्मू-कश्मीर जाकर कैंप आफिस खोल लेते थे। वहां पर अपने-अपने शिक्षण संस्थानों का प्रचार करके वह अपनी सीटों को फुल कर रहे थे। वे इस बात से अनजान थे कि उनके कैंप आफिस को भी मूसा ने आतंकियों को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया था। गिरफ्तार आतंकियों में से एक आतंकी ने वहीं पर अपना पंजीकरण करवाया था।

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अंग्रेजी बोल पाने वालों को ही मूसा ने इन राज्यों में भेजा

मूसा ने आतंक की नर्सरी के हाइड-आउट (बाहर छिपाने) विंग में केवल उन्हीं आतंकियों को रखा है जो अंग्रेजी भाषा बोल पाने में सक्षम हैं। जिससे अच्छे शिक्षण संस्थानों में उन्हें प्रवेश व उनकी छवि अच्छी बनाने में मदद मिल सके। पंजाब सहित अन्य राज्यों के शिक्षण संस्थानों व यूनिर्वर्सिटियों में हाइट-आउट विंग के ही आतंकियों को रखा गया है। फेसबुक व सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से यह आतंकी अंग्रेजी का इस्तेमाल करके दूसरे युवाओं को आतंक की तरफ आकर्षित कर रहे हैं।

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पार्सल व गोदाम के रूप में होना था इस्तेमाल

युवा आतंकियों का इस्तेमाल केवल पार्सल को संबंधित स्थान से लेकर आने व उसे गोदाम के रूप रखने के लिए किया जा रहा था। मूसा ने इन्हें वारदातों में इस्तेमाल नहीं करना था। इनके हवाले केवल संबंधित इलाकों की रेकी करना और उसकी रेग्युलर रिपोर्ट देने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। इन्हें भी यह नहीं पता होता था कि इन्हें असलहों या विस्फोटक सामग्री की सप्लाई कहां से हो रही है। केवल मूसा या उसकी तरफ से तय किए गए संबंधित व्यक्ति से आदेशों को यह मानते थे।

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पुलिस ने वेरीफिकेशन की सुविधा सभी को दी है : अरोड़ा

डीजीपी सुरेश अरोड़ा कहते हैं कि पुलिस ने सभी को वेरीफिकेशन की सुविधा दे रखी है। खासतौर पर किराएदार रखने से पहले या होटलों में रूम लेने के समय भी संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल के बाद ही सुविधा देने के आदेश हैं। किरायदारों के वेरीफिकेशन की सुविधा सालों पहले शुरू की गई थी। पुलिस समय-समय पर इसके लेकर लोगों को जागरूक भी करती है कि मकान मालिक नौकर रखने से पहले वेरीफिकेशन करवाएं। यह नियम सभी पर लागू होता है।

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साइबर सेल ने शुरू की पड़ताल, 389 लोग निशाने पर

साइबर सेल ने जालंधर से पकड़े गए  जाहिद गुलजार, पुलवामा के मोहम्मद इदरीश और यासिर रफीक बट्ट सहित आठ आतंकियों के फेसबुक व सोशल मीडिया के अन्य एकाउंट्स में से 389 लोगों की पड़ताल शुरू की है। इनके द्वारा जालंधर सहित पंजाब व अन्य राज्यों के भी कई लोग संपर्क में थे। फेसबुक पर भेजे गए संदेश को भी निकाल लिया गया है। साइबर क्राइम के हेड हरदेव सिंह मान ने बताया कि फिलहाल जानकारी साझा नहीं की जा सकती है, लेकिन साइबर सेल की पूरी टीम इस काम पर लगी है।

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कोड वर्ड में संदेश देने के लिए गानों का करते थे इस्तेमाल

सोशल मीडिया पर कोड वर्ड में संदेश देने के लिए युवा आतंकी फिल्मी गानों का इस्तेमाल करते थे। एक एप्लीकेशन के सहारे यह लोग अपनी आवाज में लिप्सिंग तकनीक का इस्तेमाल करके संदेश देते थे। अगर कोई इनकी प्रोफाइल खोलकर उक्त गीतों को सुन भी लेता है तो वह उसमें छिपे संदेश को समझ नहीं पाएगा, बल्कि इसे तकनीक व मजाक समझ कर छोड़ देगा। पड़ताल में पुलिस व एनआइए की टीम कई शब्दों के कोड को ब्रेक करने के बाद इस दिशा में भी जांच को आगे बढ़ा रही है।


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