Mohali में 1,265 खरीदारों से 432 करोड़ रुपये जमा कराए, Project अधूरा छोड़ दिया, रेरा का GMADA को फिर नोटिस
रेरा ने गमाडा को डब्ल्यूटीसी चंडीगढ़ (मोहाली) प्रोजेक्ट में 432 करोड़ रुपये फंसे होने पर फिर नोटिस भेजा है। खरीदारों ने प्रमोटर पर प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ने का आरोप लगाया है और सख्त कार्रवाई की मांग की है। रेरा ने गमाडा को अंतिम चेतावनी देते हुए अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।

तस्वीर डब्ल्यूटीसी चंडीगढ़ (मोहाली) प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग के समय की है।
जागरण संवाददाता, मोहाली। एयरो सिटी स्थित रुके हुए डब्ल्यूटीसी चंडीगढ़ (मोहाली) प्रोजेक्ट से जुड़े मामले में पंजाब रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) ने गमाडा को एक बार फिर नोटिस जारी किया है। रेरा ने सुनवाई के दौरान यह दर्ज किया कि विकास संस्था गमाडा की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई जवाब दाखिल किया गया।
सुनवाई के दौरान डब्ल्यूटीसी चंडीगढ़ (मोहाली) अलाटीज वेलफेयर एसोसिएशन, जिसकी ओर से एडवोकेट मोहम्मद सरताज खान, लव मल्होत्रा, गुरनूर सिंह और दिव्या ज्योति ने पैरवी की, ने प्रमोटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रमोटर ने लगभग 1,265 खरीदारों से 432 करोड़ रुपये एकत्र करने के बाद प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया।
रेरा ने यह भी दर्ज किया कि जबकि प्रमोटर का जवाब पहले से रिकार्ड में है, गमाडा ने न तो जवाब दाखिल किया और न ही सुनवाई में भाग लिया। बेंच ने निर्देश दिया कि गमाडा के एस्टेट अधिकारी के माध्यम से एक ताजा नोटिस जारी किया जाए और अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा जाए। सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की है।
यह विवाद प्रमोटर द्वारा प्रोजेक्ट को पूरा न करने और गमाडा द्वारा 103 करोड़ के डिफाॅल्ट के चलते साइट अलाॅटमेंट रद करने से उत्पन्न हुआ। इसके बाद रेरा पंजाब ने 15 मई 2024 को डब्ल्यूटीसी प्रोजेक्ट के तीनों चरणों की रजिस्ट्रेशन रद्द कर दी थी।
खरीदारों ने अपनी शिकायत में प्रमोटर पर रेरा एक्ट के तहत कई उल्लंघनों का आरोप लगाया है, जैसे सेल एग्रीमेंट का पालन न करना, कब्जा न देना और अनुचित व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होना। उन्होंने यह भी कहा कि रजिस्ट्रेशन रद करने के आदेशों में एक्ट की धाराएं 73 और 74(d) के तहत उनके हितों की रक्षा नहीं की गई।
खरीदारों ने मांग की है कि प्रमोटर को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए बाध्य किया जाए या फिर गमाडा अथवा किसी अन्य सरकारी संस्था को रेरा एक्ट की धारा 8 के तहत शेष विकास कार्य अपने हाथ में लेने की अनुमति दी जाए। साथ ही प्रमोटर पर जुर्माना लगाया जाए और साइट को तीसरे पक्ष को दोबारा अलाट न किया जा सके, इसके लिए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की जाए।

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