मां सरस्वती की अराधना से मिलेगा विशेष फल, राशि अनुसार करें पूजा
मां सरस्वती का प्रकाट्य दिवस माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है।
करमजीत परवाना, चंडीगढ़ : ज्ञान व कला संगीत की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का प्रकाट्य दिवस माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। इसे बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार पंचमी तिथि दो दिन यानी 29 व 30 जनवरी को है। माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 29 जनवरी को सुबह 10:45 बजे शुरू हो रही है और इसका समाप्ति काल 30 जनवरी को दोपहर 1:19 बजे है। धर्म सिधु के अनुसार चतुर्थी तिथियुक्त पंचमी यानी 29 जनवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है। इस दिन पूजा अराधना करने से बुद्धि विद्या प्राप्ति होती है। बसंत पंचमी पर इस बार सिद्धि व स्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं, इसलिए यह दिन विशेष रूप से अति शुभ है। इस दिन शादी-विवाह और नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। ज्योतिषाचार्य स्वामी विजय मानव का कहना है कि बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पीले परिधान पहनकर पूजा पाठ करना शुभ माना जाता है। पीला रंग समृद्धि, सकारात्मकता व सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पीले पकवान बनाए जाते हैं। सरसों की फसलें खेतों में लहराती हैं, वो भी पीले रंग की होती है। किस राशि के लोग कैसे करें अराधना
वृष व तुला: मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए इन जातकों को कम से कम तीन माला का कोई भी मंत्र जप करें।
मिथुन व कन्या : 'एं' मंत्र की पांच माला जाप करें। मां सरस्वती के इस मंत्र के जप से जीवन की बहुत सी समस्या खत्म हो जाती है।
कर्क : इस राशि के जातकों पंचामृत, पीले व सफेद फूलों से मां सरस्वती की पूजा करें। इसके बाद पीले रंग की मिठाई के साथ-साथ कोई सफेद मिठाई का भी भोग अर्पित करें।
सिंह राशि : इस राशि के जातक पंचामृत से मां सरस्वती के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करें। ऋतु फल, सफेद व पीली मिठाई, पीला हलुआ का भोग अर्पित करें।
धनु व मीन राशि: इस राशि के जातक पंचामृत, शहद व बताशे से मां सरस्वती का पूजा अर्चन करें। तीन माला का मंत्र जाप करें।
मकर व कुंभ : इस राशि के जातकों को पंचामृत व पीले फूलों से मां सरस्वती की पूजा करें। अगर अपराजिता का फूल मिल जाए तो इससे पूजन सबसे श्रेयस्कर है। मां की प्रसन्नता पाने के लिए शहद, केसर युक्त खीर, पंचमेवा चढ़ाएं। पांच माला मंत्र जाप करें।