स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पाया शुरू
शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : शिक्षा विभाग द्वारा शहर में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन पुराने प्रोजेक्टों पर विभाग द्वारा कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसका सुबूत इस बात से मिलता है कि विभाग द्वारा शहर के तीन स्कूलों को स्मार्ट बनाने का फैसला किया गया था। इस समय स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। विभाग द्वारा गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-43, गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-22 और गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-35 को स्मार्ट बनाने के लिए प्रोजेक्ट पास किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर विभाग द्वारा अभी तक कार्य शुरू तक नहीं किया गया है। विभाग की इस लापरवाही से शिक्षा का नुकसान हो रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट को शुरू में तो गंभीरता से लिया गया लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया, वैसे-वैसे इस प्रोजेक्ट की फाइल भी शिक्षा विभाग के ऑफिस में धूल फांकती रही। स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट को विभाग द्वारा बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा था लेकिन विभाग की लेटलतीफी से यह बात साफ हो गई है कि वह इस प्रोजेक्ट के लिए कितना गंभीर है। वर्षो से चल रही है जद्दोजहद
विभाग द्वारा इन तीनों स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए करीब तीन वर्ष पहले से जद्दोजहद चल रही है। उसके बावजूद इस प्रोजेक्ट को सिरे नहीं चढ़ाया जा सका है। कई बार विभाग के अधिकारी इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी पीठ थपथपाते नजर आते थे मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में न बदलने की वजह से बच्चों को अभी स्मार्ट स्टडी के लिए और ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा। अभी केवल शहर में है एक स्मार्ट स्कूल
चंडीगढ़ को स्मार्ट सिटी का तमगा मिल चुका है। उसके अलावा यहां उच्चतम पढ़ाई के भी दावे किए जाते हैं। इन दावों की हवा यहां निकलती है कि शहर में सिर्फ एक स्मार्ट स्कूल बना हुआ है जो सेक्टर-53 में है। उसके अलावा शहर में कोई भी स्मार्ट स्कूल नहीं है। वहीं, दूसरे केंद्र शासित राज्यों में दिल्ली में सबसे ज्यादा स्मार्ट स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
अक्टूबर में हुआ टेंडर अलॉट
स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए विभाग द्वारा पिछले माह ही टेंडर अलॉट किया गया था। उसके बाद कवायद लगाई जा रही थी कि अब स्कूलों को स्मार्ट बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा लेकिन ऐसा हो न सका। सूत्रों के अनुसार स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए जिस कंपनी को टेंडर अलॉट किया गया था, वह दिल्ली की है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जब टेंडर पिछले माह अलॉट कर दिया गया था तो फिर कार्य शुरू होने में देरी क्यों हो रही है। स्कूलों को स्मार्ट करने में आएगी करोड़ों रुपये की लागत
सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा स्कूलों को स्मार्ट करने में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। स्कूलों के स्मार्ट होने से करीब चार से पांच हजार स्टूडेंट्स को फायदा होने वाला है। स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए कई मानकों पर उसे नापा गया था। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। शिक्षा विभाग द्वारा कंपनी को ऑर्डर कर दिया गया है। जल्द ही प्रोजेक्ट पर कार्य भी शुरू हो जाएगा। अगला सत्र अप्रैल से शुरू हो रहा है तो उससे पहले स्कूलों को स्मार्ट बना दिया जाएगा।
-अनुजीत कौर, डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर