women crew ने Mi-17V5 उड़ा रचा इतिहास, रोडवेज ड्राइवर की बेटी ने भी छूू लिया आसमान
भारतीय वायु सेना की तीन महिला अधिकारियों ने गत दिवस इतिहास रच दिया। वे मध्यम आकार वाले हेलीकॉप्टर को उड़ाने वाली पहली All women crew बन गईं।
गांधीनगर/चंडीगढ़ (एएनआइ)। अगर जिद आ जाए कुछ बनने की तो हर मुश्किल काम वो करती हैं, बदल जाता है इतिहास जब बेटियां उड़ान भरती हैं... कुछ इसी तर्ज पर भारतीय वायु सेना की तीन महिला अधिकारियों ने गत दिवस इतिहास रच दिया। वे मध्यम आकार वाले हेलीकॉप्टर को उड़ाने वाली पहली 'All women crew' बन गईं। उन्होंने बैटल इनोक्यूलेशन ट्रेनिंग मिशन के तहत Mi-17V5 हेलीकॉप्टर उड़ाया।
Flight lieutenant पारुल भारद्वाज (कैप्टन), Flying officer अमन निधि (सहायक पायलट) और Flight lieutenant हिना जायसवाल (flight engineer) मध्यम आकार वाले हेलीकॉप्टर को उड़ाने वाली पहली 'All women crew' बन गई हैं। भारतीय वायुसेना की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि तीनों महिला अधिकारियों ने दक्षिण पश्चिमी वायु कमान से आगे स्थित एयरबेस पर एक प्रतिबंधित क्षेत्र से युद्धक प्रशिक्षण मिशन के लिए हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी।
लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज पंजाब के मुकेरियां की रहने वाली हैं और Mi-17V5 के साथ उड़ान भरने वाली पहली महिला पायलट भी हैं। रांची निवासी Flying officer अमन निधि झारखंड की पहली महिला पायलट भी हैं। Flight lieutenant हिना जायसवाल चंडीगढ़ की रहने वाली हैं और भारतीय वायु सेना की पहली महिला flight engineer हैं।
पंजाब रोडवेज के ड्राइवर की बेटी हैं पारुल भारद्वाज
मुकेरियां के पास पड़ते गांव काला मंज के एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी पारुल भारद्वाज के पिता प्रवीन भारद्वाज रोडवेज में ड्राइवर की नौकरी करते हैं। माता प्रिया भारद्वाज श्री गुरु गोबिंद सिंह सीनियर सेकेंडरी स्कूल बेगपुर कमलूह में अध्यापिका है। पारुल ने भी इसी स्कूल से 2009 में बारहवीं पास की। 42 SSCW (PC) पायलट कोर्स करने के बाद 2015 में पायलट बनकर सातवां रैंक हासिल किया।
सियाचिन की ऊंचाइयों पर भी सेवा देंगी चंडीगढ़ की हिना
पंजाब यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में स्नातक हिना जायसवाल बेंगलुरु के उत्तरी उपनगर में स्थित येलाहांका एयरबेस की 112वीं हेलीकॉप्टर यूनिट की Flight lieutenant थीं। वह वायुसेना की इंजीनियरिंग शाखा में 5 जनवरी 2015 को सैनिक के रूप में भर्ती हुईं।
उन्होंने फ्लाइट इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में शामिल होने से पहले फ्रंटलाइन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दस्ते में फायरिंग टीम की प्रमुख और बैटरी कमांडर के तौर पर काम किया। रक्षा मंत्रालय ने हीना के हवाले से कहा है कि पहली महिला flight engineer बनने की उनकी उपलब्धि सपना पूरा होने जैसी है क्योंकि वह बचपन से ही सैनिकों की वेशभूषा पहनने और पायलट बनने के लिए प्रेरित होती थीं।
छह महीनों के पाठ्यक्रम के दौरान ही हिना ने अपने पुरुष प्रतिद्वंद्वियों के साथ प्रशिक्षण लेते हुए अपनी प्रतिबद्धता, समर्पण और दृढ़ता का प्रदर्शन किया। उनके अनुसार flight engineer के तौर पर हिना जरूरत पडऩे पर सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली ऊंचाइयों व अंडमान के सागर में वायुसेना की ऑपरेशनल हेलीकॉप्टर यूनिट्स पर सेवा देंगी। हिना के माता-पिता डीके जायसवाल और अनिता जायसवाल ने बताया कि उसका सपना पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि बचपन से ही हिना सैनिकों की यूनिफॉर्म पहनती थी।
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