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फिल्म निर्देशक अमर बोले- पहले कोई और फिल्म थी दिमाग में, पर किस्मत से बन गई 'स्त्री'

निर्देशक अमर कौशिक का कहना है कि स्त्री फिल्म बनना एक घटना थी। पहले कोई और फिल्म दिमाग में थी। मगर किस्मत से पहले स्त्री ही बन गई।

By Edited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 11:23 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 04:19 PM (IST)
फिल्म निर्देशक अमर बोले- पहले कोई और फिल्म थी दिमाग में, पर किस्मत से बन गई 'स्त्री'
फिल्म निर्देशक अमर बोले- पहले कोई और फिल्म थी दिमाग में, पर किस्मत से बन गई 'स्त्री'

जेएनएन, चंडीगढ़। स्त्री फिल्म बनना एक घटना थी। पहले कोई और फिल्म दिमाग में थी। मगर किस्मत से पहले स्त्री ही बन गई। उम्मीद नहीं थी कि स्त्री 100 करोड़ के क्लब में शामिल होगी। वैसे यह सोच कर बनाई भी नहीं थी। निर्देशक अमर कौशिक ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपनी फिल्म स्त्री पर बात की। चंडीगढ़ लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे अमर ने खास बातचीत में फिल्म बनाने के अनुभव को साझा किया।

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कहा कि दरअसल, मेरे पास दो स्क्रिप्ट थी। एक थ्रिलर और एक हॉरर प्लस कॉमेडी। मुझे थ्रिलर पसंद आई। ऐसे में प्रोड्यूसर के पास गया, तो दोनों ही स्क्रिप्ट सुनाई। प्रोड्यूसर को हॉरर फिल्म पसंद आई। मजबूर हॉरर ही बनानी पड़ी। बस ऐसे ही स्त्री की शूटिंग शुरू हुई, और बाकी तो आप जानते ही हैं। अभी चुन रहा हूं कौन सा सिनेमा करूं. अमर ने कहा कि उन्होंने अभी तक आबा और स्त्री फिल्म बनाई है। आबा को अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल में सराहना मिली और स्त्री को भारत में। मगर सच कहूं, तो आज भी अपना सिनेमा खोज रहा हूं। एक जॉनर में नहीं बंधना चाहता। ज्यादा से ज्यादा एक्सपेरीमेट और नई चीजें करना चाहता हूं। अभी तक असिस्टेट डायरेक्टर के तौर पर ही कार्य करता रहा। ऐसे में अलग अनुभव हुआ। मगर स्त्री के बाद कई रास्ते साफ हुए।

उन्होंने कहा कि अब अपनी नई फिल्म, उसी स्क्रिप्ट पर बना रहा हूं, जिसे पहले बनाना चाहता था। स्त्री के बाद ये भी चीज अच्छी हुई कि मुझे निर्माताओं के आगे पीछे घूमने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ी। हालांकि कुछ फिल्म मेरे दोस्तों ने भी प्रोड्यूज की। जिसकी वजह से मैं इस क्षेत्र में आ पाया।

पंचकूला में माता पिता हैं, खुद मुंबई रहता हूं

अमर ने कहा कि उनका जन्म और रहन सहन पूर्वी और दक्षिणी भारत में हुआ। मगर इन दिनों उनके माता पिता पंचकूला में ही रहते हैं। हालांकि, अमर मुंबई में ही कार्य करते हैं, ऐसे में पंचकूला बहुत कम आना होता है। उन्होंने कहा कि खुशी हुई कि उनकी फिल्म को एक लिटरेचर फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया।


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