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वन से ही कल है..

जागरण संवाददाता चंडीगढ़ पूरे विश्व में दस लाख पेड़ लगाने के हम करीब हैं। इसमें करीबन 31 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं।

By Edited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 03:01 AM (IST)
वन से ही कल है..
वन से ही कल है..

चंडीगढ़, जेएनएन। पूरे विश्व में दस लाख पेड़ लगाने के हम करीब हैं। इसमें करीबन 31 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं। उम्मीद है अगले वर्ष तक हम इसमें कामयाब होंगे। अभी पंजाब में 43 जगह इन वनों की स्थापना हो गई है। कुल मिलाकर 58 स्थानों पर वनों की स्थापना हो चुकी है। अब वक्त है कि पूरा विश्व वनों की अहमियत को समझें, और हर देश और राज्य में यह पवित्र वन लगाए जाएं। संस्था ईको सिख के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजवंत सिंह ने कुछ इन्हीं शब्दों में संस्था के लक्ष्य पर बात की। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य के लिए अभी 1820 स्थानों को चुना गया है। इसमें इंडिया ही नहीं बल्कि कनाडा, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, म्यांमार, ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल है।

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51 खास पेड़ों की प्रजातियों को फिर लगा रहे हैं..

राजवंत ने कहा कि जिन पेड़ों को पंजाब और विभिन्न राज्यों में लगाया जा रहा है, वहां खत्म होने की कगार में पहुंच चुकी प्रजातियों को उगाया जा रहा है। इसमें रीठा, मलबरी, कदम, करोंदा, लसोड़ा, मलहे बेर आदी प्रजातियों को लगाया गया है। दरअसल, इन प्रजातियों के बीज हमें एक ही जगह पर नहीं मिलते थे। पंजाब में ही उगने वाले पेड़, अब यहां नहीं मिलते। ऐसे में हम इन्हें विभिन्न राज्यों से लाएं। पंजाब में कई वृक्ष लगाने के दौरान, हमनें लुधियाना में ही एक बैंक बनाया। जहां इन बीजों को रखा जाता है।

एक लाख तक लगती है लागत

डॉ. राजवंत ने कहा कि इन पेड़ों की मियावाकी तकनीक से लगाया जा रहा है। जिसे जापान के साइंटिस्ट अकीरा मियावाकी ने खोजा। इसके तहत छोटे से क्षेत्रफल में ही अलग अलग तरह के कई पेड़ों को उगाया जा सकता है। ऐसे में हमने इसी तकनीक के अनुसार पेड़ लगाया। इसमें ये देखना होता है कि आप एक ही जैसे ज्यादा पेड़ न लगाएं, नहीं तो बैलेंस खराब हो सकता है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के पेड़, जो एक सामान बड़े होते हों। इनको देखकर ही इन्हें लगाया जाता है। इसमें पशु पक्षी भी रहते हैं। हमने कई ऐसी पक्षियों की प्रजातियों को यहां पाया, जो अब शहर में नहीं दिखती। इस जंगल को लगाने में करीबन 80 हजार से एक लाख रुपए खर्च होता है। फिलहाल हमने सबसे सस्ता जंगल पटियाला में 30 हजार का लगाया।

पाकिस्तान ने भी की पहल

डॉ. राजवंत ने कहा कि हमारा साथ पाकिस्तान में रह रहे पर्यावरण को स्वच्छ करने से जुड़े लोगों ने भी दिया। पाकिस्तान के कसूर में भी इसी तकनीक के सहारे 550 पेड़ लगाए गए। इसमें वहीं के वातावरण के अनुसार पेड़ों का चुनाव किया गया। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू, हरियाणा में भी हम इस तकनीक से पेड़ उगा चुके हैं।


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