कर हर मैदान फतह
गीत को गाते हैं तो लगता है कि किसी प्रोफेशनल बैंड ने अपनी धुन छेड़ी है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है..31 वर्षीय संदीप सिंह कीबोर्ड के साथ इस गीत को गाते हैं तो लगता है कि किसी प्रोफेशनल बैंड ने अपनी धुन छेड़ी है। मगर जान कर हैरत होगी कि ये बैंड केवल दो महीने पुराना है। जिसमें ज्यादातर मेंबर्स ने पहली बार म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को छूआ है। चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब - 28 में ये बैंड दोपहर की धूप में अपने गीतों को यूं गुनगुना रहा था जो हर किसी को जीने की जिद देता है। संदीप इस बैंड के लीड सिगर और कीबॉर्ड प्लेयर हैं। बोले कि दो वर्ष पहले वेस्ट बंगाल में रहते हुए गोली लगी थी। जिसकी वजह से पैराप्लेजिक हुआ और शरीर का कोई भी हिस्सा काम नहीं करता था। चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब में पहुंचा तो थोड़ा ठीक होने लगा, धीरे-धीरे पता चला कि यहां एक बैंड बनने जा रहा है। संगीत का अध्यन नहीं था मगर फिर भी एक कोशिश की। कभी कभार पहले पियानो बजा लेता था। इसके बाद मुझे ग्रुप में कीबोर्ड दिया गया। मुझे खुशी है कि इसका हिस्सा बन सका। संगीत ने मुझे जीने की एक अलग राह दिखाई है। कलाकार हूं जहां जाउंगा संगीत ही बाटूंगा
ग्रुप का निर्माण करने वाले 39 वर्षीय त्रिदीप चौधरी ने कहा कि इस बैंड को दो महीने पहले ही तैयार किया है। आसाम में रहते हुए एक दुर्घटना की वजह से पैराप्लेजिक का शिकार हो गया जिससे शरीर के निचले अंग ने काम करना बंद कर दिया था। यहां कुछ वर्ष पहले आया और सोचा की बैंड बनाया जाए। दरअसल मैं पहले से ही संगीत से जुड़ा हूं। ऐसे में यहां कुछ लोगों को जोड़कर बैंड का निर्माण किया। यहां हम करीबन दो से तीन घंटे प्रेक्टिस करते हैं। दो महीने में हम कई जगह प्रस्तुति दे चुके हैं। उम्मीद है कि ये लोग अपने जीवन में संगीत को पाकर खुश होंगे। एक हफ्ते पहले आइसीयू में था अब प्रस्तुति दूंगा
28 वर्षीय आशीष वर्मा ने कहा कि वह बैंड में गिटार बजाते हैं। एक्सीडेंट की वजह से शरीर में पैराप्लेजिक हो गया। मगर फिर भी खुद को स्पोर्ट्स और म्यूजिक में व्यस्त रखा। अभी एक हफ्ता पहले ही आइसीयू में एडमिट था। खुशी है कि अब वापस आकर प्रस्तुति दे रहा हूं। संगीत ने मुझे नई दुनिया दी है। इसकी वजह से ऐसा लगता है कि दोबारा सांसे चल रही हैं। प्रस्तुति के लिए खास खरीदा ऑक्टोपैड
बैंड में ऑक्टोपैड प्लेयर 29 वर्षीय राहुल सिंह लखनऊ से हैं। बीटेक की डिग्री प्राप्त कर चुके राहुल ने कहा कि एक्सीडेंट की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रेक्चर हुआ। इसके बाद तो जीवन बदल सा गया था। यहां चंडीगढ़ में एडमिट हुआ तो इस बैंड के बारे में पता चला। मुझे ऑक्टोपैड के लिए रखा गया। मगर ये ऑक्टोपैड कहां से लाता तो ऐसे में इस रिहैब सेंटर ने मेरी मदद की। हाथों में थोड़ी तकलीफ होती है मगर संगीत में इतना मस्त हो जाता हूं कि ये दर्द कुछ नहीं लगता। हाथ पांव नहीं चलते तो मुंह से ही बजाते हैं चाइम्स
28 वर्षीय अजय राज बैंड में चाइम्स प्ले करते हैं। बोले कि एक एक्सीडेंट के दौरान क्वार्डप्लेजिक की मरीज हो गया था। जिसकी वजह से हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। मगर फिर धीरे-धीरे अपने हर काम को खुद करना शुरू किया। अपनी व्हील चेयर भी मुंह के द्वारा रिमोट के सहारे चलाता हूं। इस बैंड में मैंने चाइम्स को चुना है जिसे मुंह से बजा लेता हूं। बैंड के अन्य सदस्य राजीव कुमार ने कहा कि वह कांगड़ा से हैं और पेड़ से गिरने की वजह से हाथ पांव पूरी तरह टूट गए। फिर भी वह इस बैंड में वह बीट्स प्ले करते हैं। शुभम वारे बैंड में माउथ ऑर्गन प्ले करते हैं। बैंड आज तोची रैना के साथ देगा प्रस्तुति
फ्लोइंग करमा बैंड आज स्पाइनल रिहैब -28 में शाम छह बजे प्रस्तुत देगा। इसके लिए खास रूप से बॉलीवुड गायक तोची रैना पहुचेंगे, जो इस बैंड के साथ प्रस्तुति देंगे।