भगवान विष्णु का द्वारपाल अगले जन्म में क्यों बना रावण, अब उठेगा रहस्य से पर्दा Chandigarh News
दशहरे से एक दिन पहले मायावी मेघनाथ के रहस्य से भी पर्दा उठाया जाएगा। मेघनाथ एक था लेकिन उसकी परछाई कई जगह पर दिखाई देती थी।
चंडीगढ़, जेएनएन। रावण राक्षस योनि में क्यों पैदा हुआ। विश्व का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति राक्षस बनकर माता सीता का हरण करता है और अपने वंश का अंत करा लेता है। इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए ओसीएफ सांस्कृतिक मंच सेक्टर-29 रामलीला की शुरुआत में इस सीन का मंचन करेगा। 28 सितंबर से शुरू हो रही रामलीला में मंच विशेष झलकियां पेश करने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि ओसीएफ सांस्कृतिक मंच की स्टेज उत्तर भारत की पहली ऐसी स्टेज है जो कि घूमती है। दृश्य बदलने पर इस मंच का पर्दा नहीं गिरता बल्कि घूम जाता है।
मुख्य कलाकार ज्योति भारद्वाज ने बताया कि रावण पूर्वजन्म में भगवान विष्णु का द्वारपाल हुआ करता था। वहां से श्राप मिलने के कारण रावण राक्षस योनि में पैदा होता है और बुद्धिमत्ता के लिए विश्व प्रसिद्ध भी होता है लेकिन एक गलती से पूरे वंश का नाश कर लेता है। इस दृश्य का मंचन पहले ही दिन किया जाएगा। इसके अलावा दशहरे से एक दिन पहले मायावी मेघनाथ के रहस्य से भी पर्दा उठाया जाएगा। मेघनाथ एक था लेकिन उसकी परछाई कई जगह पर दिखाई देती थी। इस मंचन सात अक्टूबर को होगा। रावण और शंकर का संवाद भी इसी दिन दिखाया जाएगा। रामलीला में रावण अंर्तद्वंद भी पेश किया जाएगा। इसमें माता सीता को उठाने से पहले रावण के अंदर चल रहे सोच-विचार को दिखाया जाएगा। रावण माता सीता को उठाने से पहले ही जानता था कि श्रीराम साक्षात नारायण हैं, लेकिन खुद मुक्ति पाने के लिए वह न चाहते हुए भी माता सीता का हरण चाहता है।
एक मंच पर चार पीढ़ियां करती है रामलीला का मंचन
ज्योति भारद्वाज ने बताया कि ओसीएफ सांस्कृतिक मंच की एक खासियत यह भी है कि यहां पर एक मंच पर चार पीढि़यां एक साथ मंचन करती हैं। ज्योति के पिता शाम सुंदर भी जटायु का अभिनय करने के साथ पूरे रामलीला का निर्देशन करते हैं जबकि खुद रावण का अभिनय करते है। ज्योति के बेटे चिरायु और नवासा यथार्थ भी बाल रूप में नजर आते हैं।
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