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जो तोड़ेगा धनुष उसी से होगा सीता का स्वयंवर

कुमाऊं सांस्कृतिक रंगमंच सेक्टर-15 की रामलीला में सीता स्वयंवर और परशुराम व लक्ष्मण संवाद का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 10:51 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 10:51 PM (IST)
जो तोड़ेगा धनुष उसी से होगा सीता का स्वयंवर
जो तोड़ेगा धनुष उसी से होगा सीता का स्वयंवर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कुमाऊं सांस्कृतिक रंगमंच सेक्टर-15 की रामलीला में सीता स्वयंवर और परशुराम व लक्ष्मण संवाद का मंचन किया गया। सीता के पिता जनक की शर्त थी कि बेटी का स्वयंवर उसी राजकुमार या फिर राजा से किया जाएगा, जो कि भगवान शिव के चमत्कारी धनुष को तोड़ेगा। धनुष को तोड़ने के लिए कई राज्यों के राजकुमार और राजा पहुंचे। रावण ने भी धनुष तोड़ने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे। गुस्से से भरे रावण बोलते हैं मैं भगवान शिव का परम भक्त हूं, उसके बाद भी मैं इस धनुष को तोड़ने के काबिल क्यों नहीं हुआ हूं। घोर गुस्से और गर्जना के बीच राजकुमार राम आगे आते हैं और धनुष को एक हाथ से उठाकर तत्काल तोड़ देते हैं। इसी रामलीला के दूसरे भाग में लक्ष्मण और परशुराम का संवाद दिखाया गया। परशुराम जहां पर जिद्दी थे वहीं पर लक्ष्मण भी गंभीर स्वभाव वाले है।

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रामलीला की खासियत-

कुमाऊं सांस्कृतिक रंगमंच की खासियत है कि यहां पर हर साल तीस प्रतिशत कलाकार नए होते हैं। यह कलाकार पहली बार स्टेज पर मंचन कर रहे होते हैं। रामलीला के नियमों के अनुसार मंचन के जरिए लोगों को जोड़ना परम धर्म है।

रामलीला में रावण का अभिनय करने के लिए रोजाना हरियाणा के पानीपत से शहर आता हूं। रावण का अभिनय मात्र रंगमंच का हिस्सा नहीं है बल्कि यह समाज के लिए अमूल्य शिक्षा है। रावण ने सीता का हरण किया लेकिन उसे छूआ तक नहीं। इसके अलावा रावण को पता था कि भगवान राम सर्वशक्तिमान है और मेरा अंत इनसे होगा उसके बाद भी वह लड़ाई से पीछे नहीं हटे और बहन की इज्जत के लिए लड़े।

अजय कुमार राम की भूमिका संपूर्ण मानव समाज के लिए बहुत बड़ी प्ररेणा है। राम का प्रजा के प्रति समर्पण और पिता की आज्ञा को मानना अनुसरण करना आज भी सार्थक है।

कमल माता सीता पतिव्रता होने के साथ-साथ एक बेटी, बहु और मां भी थी। उनका अनुसरण आज के समय में सैकड़ों महिलाएं करती है। उनका अभिनय करना गौरव का विषय है।

किरण हनुमान की भगवान राम और सीता के प्रति भक्ति और लक्ष्मण के लिए श्रद्धा आज भी अनुकरणीय है।

रजत


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