..जिनकी शायरी में राहत थी
दोनों से खास लगाव रहा इंदौरी का। इसलिए वो यहां मुशायरे में आ जाते थे।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : पंजाब-चंडीगढ़ दोनों से खास लगाव रहा इंदौरी का। इसलिए वो यहां मुशायरे में आ जाते थे। इतने लोकप्रिय थे कि मुशायरों में युवाओं की भीड़ इकट्ठी होती थी। मैं आसान शब्दों में कहूं तो वो मुशायरों की शान थे। जिनकी शायरी में राहत थी। राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कुछ इन्हीं शब्दों में स्वर्गीय राहत इंदौरी को याद किया। मंगलवार को राहत इंदौरी के निधन की खबर के बाद पूरे शहर में साहित्यकारों और शायरों में शोक की लहर दिखी। करीब सात महीने पहले मिले थे
माधव ने कहा कि इंदौरी से करीब सात महीने पहले मिलना हुआ था। उस दौरान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में उनकी शायरी का आयोजन था। उस दौरान नवाब देवबंदी, मैं और राहत इंदौरी ने चर्चा की। वो अकसर कहते थे कि ये शहर अच्छा है। उनका एक अलग लगाव था शहर से। इसलिए यहां मुशायरों में अकसर दिख जाते थे। उनकी शायरी की बात करूं तो ये बहुत आसान भाषा में होती थी। इसलिए वो आम आदमी के शायर भी थे। कई गजलों में कटाक्ष पैदा करते थे, उनके लिखे बोल झूठों ने झूठों से कहा सच बोलो और किसी के बाप का हिदुस्तान थोड़ी है जैसी लेखनी उनके किरदार को बताती थी। हमेशा मुशायरे के लिए रहते थे तैयार
इबारत लेखक कला मंच के सदस्य इमरान मंसूरी और वसीम मीर ने कहा कि राहत इंदौरी को उन्होंने तीन बार शहर में आयोजित होने वाले मुशायरों में बुलाया। वो हमेशा तैयार रहते थे। कभी ये जाहिर नहीं करते थे कि वो इतने बड़े शायर हैं। पहली बार शायरी के कार्यक्रम में उन्हें बुलाया तो वो बिल्कुल सादे कपड़ों में पहुंचे, मैं खुद उन्हें एक नॉर्मल गाड़ी में लेने के लिए गया। उन्होंने बिल्कुल भी लग्जरी लाइफस्टाइल की डिमांड नहीं की। सादगी से आते थे और सादगी से जाते थे। इसी वजह से हम उन्हें तीन बार शहर में बुलाने में कामयाब रहे। ऐसे जमीं से जुड़े शायरों का जाना मुशायरों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।