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क्या कोर्ट कर्मियों को मिल रहा है छठे वेतन आयोग का लाभ, हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में मांगा जवाब

चंडीगढ़ की अधीनस्थ अदालतों में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों के संबंध में विचाराधीन मामले पर गृह सचिव से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 01:01 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 01:01 PM (IST)
क्या कोर्ट कर्मियों को मिल रहा है छठे वेतन आयोग का लाभ, हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में मांगा जवाब
क्या कोर्ट कर्मियों को मिल रहा है छठे वेतन आयोग का लाभ, हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में मांगा जवाब

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। चंडीगढ़ की अधीनस्थ अदालतों में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों के संबंध में विचाराधीन मामले पर गृह सचिव से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है। न्यायालय ने पूछा है कि क्या चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी सब-ऑर्डिनेट कोट्र्स एस्टेब्लिशमेंट के कर्मचारियों को प्रशासन के कर्मचारियों के समान वेतन दिया जा रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शेट्टी आयोग की सिफारिशों के तहत अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को प्रशासन के कर्मचारियों के समान वेतन न देने के खिलाफ राजीव कुमार और अन्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रशासन से तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा है। पूछा है कि क्या चंडीगढ़ की अधीनस्थ अदालतों में तैनात कर्मचारियों के लिए छठा वेतन आयोग लागू किया जा चुका है?

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प्रशासन बताए कि सबको मिल रहा है समान लाभ

अपने आदेशों में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर चंडीगढ़ की अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के समान वेतन वृद्धियां नहीं दी गई है, तो प्रशासन इस संबंध में विशेष रूप से जवाब दायर करे। चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इस याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाए जाने के प्रश्नों को दरकिनार करते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में कहा है कि चंडीगढ़ एक कल्याणकारी राज्य है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में स्पष्ट है कि अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारी अपनी वेतन विसंगतियों के मुद्दे को लेकर अपने हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं।

हाईकोर्ट में दायर हुई थी अवमानना याचिका

गौरतलब है कि चंडीगढ़ की अधीनस्थ अदालतों में कार्यरत रीडर, बेलिफ और कुछ अन्य पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के तहत 2011 से संशोधित बढ़े हुए वेतनमान न दिए जाने के चलते कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में यह अवमानना याचिका दायर की थी। प्रशासन द्वारा अधीनस्थ अदालतों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए परिभाषा (नोमेंक्लेचर) उपलब्ध न होने की दलील पर हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर विचार करने की बात भी अपने आदेशों में कही है।

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