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साइकिल चलाने लगा तो लोगों ने समझा घर में आर्थिक तंगी है : प्रो. गौरव वर्मा Chandigarh News

पंजाब यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेशर गौरव वर्मा सिटी ब्यूटीफुल में साइक्लिंग प्रमोट कर रहे हैं। उनकी पत्नी और बेटा भी इसमें उनका सहयोग करते हैं।

By Edited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 08:33 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 01:31 PM (IST)
साइकिल चलाने लगा तो लोगों ने समझा घर में आर्थिक तंगी है : प्रो. गौरव वर्मा Chandigarh News
साइकिल चलाने लगा तो लोगों ने समझा घर में आर्थिक तंगी है : प्रो. गौरव वर्मा Chandigarh News

चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। सिटी ब्यूटीफुल को साइकिल के लिए बनाया गया था लेकिन यहां गाड़ियां स्टेटस सिंबल बन गई हैं। सबसे ग्रीनरी वाले शहर में वाहनों की बढ़ती संख्या आने वाले सालों में शहरवासियों के बड़ी परेशानी बन जाएगी। इससे बचने के लिए साइकिल ही एकमात्र विकल्प है। कुछ इस तरह का कहना है पंजाब यूनिवर्सिटी में बीते नौ साल से साइकिल पर चलने वाले एसोसिएट प्रोफेसर गौरव वर्मा का।

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पीयू केमिकल इंजीनियरिंग (यूआइसीईटी) विभाग में कार्यरत प्रो. गौरव कहते हैं कि अगर भावी जेनरेशन के लिए कुछ अच्छा छोड़ना है तो हमें पर्यावरण के प्रति अभी से जागरूक होना होगा। पुराने अनुभवों को साझा करते हुए प्रो. गौरव ने बताया कि 2011 में जब उन्होंने साइकिल चलाना शुरू किया तो आसपास रहने वाले सोचने लगे कि घर में आर्थिक तंगी चल रही है। उन्होंने तो साइकिलिंग फिटनेस और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए शुरू की थी।

प्रोफेसर रौनकी राम से मिली प्रेरणा

प्रो. गौरव ने बताया कि 2011 में पीयू के सीनियर प्रोफेसर रौनकी राम से प्रेरित होकर ही उन्होंने साइकिल चलाना शुरू किया। तब से सारा रूटीन वर्क साइकिल पर ही करता हूं। डिपार्टमेंट में भी साइकिल से ही आता हूं। घर के अन्य काम भी साइकिल पर ही कर करता हूं। प्रो. गौरव हर रोज 10 से 15 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। घर में होंडा सिटी गाड़ी तो कभी कभार ही प्रयोग करते हैं। यूबीएस में कार्यरत प्रो. गौरव की पत्नी डॉ. अनुराधा और सेंट जोन स्कूल में पढ़ने वाला नौ साल का बेटा श्रेयांस भी साइकिल चलाता है।

डॉ. गौरव ने बताया कि साइकिल के दो अनुभव काफी रोचक हैं। एक बार सेक्टर-10 के नामी होटल में साइकिल पर पहुंचा तो स्टाफ का रीएक्शन काफी अलग था, उन्हें होटल के पिछली तरफ कर्मचारियों के स्टैंड में साइकिल खड़ी करने को कह दिया गया। बेटे के स्कूल में भी एक बार साइकिल पर जाने पर सिक्योरिटी स्टाफ को यकीन ही नहीं हुआ कि मैं इसी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का पिता हूं।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक साल की साइकिलिंग

प्रो. गौरव ने बताया कि 2014 में वह एक साल के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में रहे। वहां के एक प्रोफेसर की पुरानी साइकिल को ठीक करा उसे साल भर चलाया। विदेश में साइकिल चलाने वालों का काफी सम्मान मिलता है। लेकिन अपने यहां ऐसा कल्चर नहीं है। चंडीगढ़ में बने साइकिल ट्रैक कई देशों के मुकाबले काफी अच्छे हैं सिर्फ इनकी मेंटेनेंस की जरूरत है। शहर में बढ़ते ट्रैफिक से मुक्ति के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुरुस्त करना और लोगों को साइकिल का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। लोगों की पहल ही शहर की हरियाली को बरकरार रख पाएगी। उन्होंने कहा कि पीयू कैंपस में टीचर्स भी साइकिल पर डिपार्टमेंट आने लगे तो स्टूडेंट्स और अन्य स्टाफ को भी साइकिल चलाने के लिए मोटिवेट किया जा सकता है।

आप भी बनें दैनिक जागरण साइकिल अभियान का हिस्सा

ली कार्बूजिए और पियरे जेनरे द्वारा साइकिल सिटी के तौर पर बसाए सिटी ब्यूटीफुल की खूबसूरती बढ़ते वाहनों से लगातार गिर रही है। दैनिक जागरण पर्यावरण संरक्षण सरोकार के तहत ट्राईसिटी लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित कर रहा है। अगर आप भी साइकिल चलाने के शौकीन हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं तो जागरण अभियान से अवश्य जुड़ें। आप फोटो और साइकिल से जुड़े अनुभवों को वाट्सएप नंबर 78141-97100 पर साझा कर सकते हैं। जिसे अखबार में प्रकाशित किया जाएगा।


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