उपराष्ट्रपति नायडू ने दिया मेहनत का मंत्र, कहा- इसी से मिली कलाम व मोदी को सफलता
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने पंजाब यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों को मेहनत कर सफलता हासिल करने की सीख दी।
जेएनएन, चंडीगढ़। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा कि हम चाहे कितनी भी तरक्की कर लें, लेकिन गूगल कभी गुरु की जगह नहीं ले सकता। नायडू पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के दीक्षा समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने यहां 3 देशों और 16 राज्यों के 324 विद्यार्थियों को डिग्री देकर सम्मानित किया। इनमें 224 महिलाएं भी शामिल थीं।
नायडू ने कहा कि जिंदगी में कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका एक उदाहरण हैं। उन्होंने युवाओं को बेहतर भविष्य के लिए कई टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि जिंदगी में हमेशा अपनी जमीन और भाषा से जुड़ा रहना चाहिए। उन्होंने युवाओं को हमेशा बड़े सपने देखने और फिर उन्हें पाने के लिए जी जान से जुटने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत पंजाबी से की तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। मुख्य अतिथि ने कहा कि भारत जैसे देश दुनिया में कहीं नहीं, यहा की सभ्यता हजारों साल पुरानी है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व गुरु का मंत्र दिया है। नालंदा और तक्षशीला का भी उन्होंने अपने भाषण में जिक्र किया। नायडू ने कहा कि आज दुनिया के हर देश में भारतीयों ने अपनी काबलियत से लोहा मनवाया है।
उन्होंने कहा कि सिलीकॉन वैली में हर दूसरा भारतीय बसा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे युवा बेशक विदेश में जाएं, लेकिन वह अपनी काबलियत को अपने देश की तरक्की में लगाएं। उपराष्ट्रपति ने युवाओं को बेहतर नॉलेज के साथ देश में महिलाओं के उत्थान और बेहतर वातवरण बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हम कितने भी आधुनिक हो जाएं, लेकिन हमें अपनी अतीत को नहीं पहुंचना चाहिए।
ऑनलाइन डिग्री की शुरुआत की
उपराष्ट्रपति ने पीयू दीक्षा समारोह में ऑनलाइन डिग्री की शुरुआत की। पहली डिग्री गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज सेक्टर-50 प्रिसिपल डॉ. मनजीत बराड़ को मिली। देश में ऑनलाइन डिग्री देने वाली पंजाब यूनिवर्सिटी पहली यूनिवर्सिटी बन गई है। पीयू कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन प्रो. परविंदर सिंह ने बताया कि अब दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठकर कोई भी अपनी डिग्री ऑनलाइन प्राप्त कर सकता है।
दीक्षा समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे विद्यार्थी।
मिल्खा सिंह को मिला खेल रत्न
दीक्षा समारोह में चंडीगढ़ ही नहीं साथ लगते राज्यों से भी काफी नामी हस्तियों ने कार्यक्रम में शिरकत की। इस मौके पर पद्मश्री मिल्खा सिंह को पीयू का खेल रत्न, प्रो. बीएन गोस्वामी को ज्ञान रत्न, सुनील कुमार मुंजाल को उद्योग रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा प्रो. एमएम शर्मा, प्रो.तेजिंद्र विरदी और जस्टिस खेहर को मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, पंजाब के राज्यपाल और यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर भी मौजूद रहे। इसके अलावा चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन, एडवाइजर परिमल राय, डीसी अजीत बालाजी जोशी ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।
उपराष्ट्रपति ने 324 विद्यार्थियों डिग्री दी। सबसे ज्यादा पीएचडी स्कॉलर 122 पंजाब से थे। चंडीगढ़ के 56 व हरियाणा के 55 स्टूडेंट्स को डिग्रियां दी गई। हिमाचल प्रदेश के 42 और दिल्ली के 9 विद्यार्थियों को डिग्री दी गई। समारोह में सबकी नजरें 85 साल के हरभजन सिंह पर टिकी रहीं। उन्होंने एनिमल हसबेंडरी विषय में पीएचडी की है, तो पंजाब सिविल सर्विसेज के अधिकारी और उनके बेटे एक साथ डिग्री ली।
दीक्षा समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति।
तीन देशों के 9 स्कॉलर को सम्मान
7 ईरान के, एक-एक थाइलैंड और अफगानिस्तान के स्कॉलर्स को भी सम्मान मिला। थाइलैंड के प्रभाहा पतिफान ने दर्शनशास्त्र में पीएचडी की है। 16 राज्यों में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, यूपी, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, एमपी, मणिपुर, महाराष्ट्र, राजस्थान, बंगाल, बिहार, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ के युवाओं को डिग्रियां मिलीं।
मिल्खा सिंह को सम्मानित करते उपराष्ट्रपति।
दो रिटायर्ड प्रिंसिपल को भी डिग्री
लुधियाना के एक कॉलेज से रिटायर हुईं प्रोफेसर प्रेमलता ने इतिहास में पीएचडी की है। सेक्टर-50 के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर कॉमर्स व बिजनेस मैनेजमेंट की प्रिंसिपल डॉ. मंजीत बराड़ ने 8 साल में वूमेन स्टडीज में पीएचडी पूरी की है।
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