भगवंत मान के जनता दरबार कार्यक्रम में पंजाबभर से उमड़े लोग, सबसे नहीं मिल पाए मुख्यमंत्री, जमकर हुआ हंगामा
पंजाब के सीएम भगवंत मान के जनता दरबार कार्यक्रम में ज्यादा भीड़ जुटने से अफरा-तफरी मच गई। सीएम सभी से नहीं मिल पाए। इस पर पंजाबभर से आए लोगों ने नाराजगी जताई। कहा कि उनकी बात को नहीं सुना गया।
इन्द्रप्रीत सिंह/रोहित कुमार, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान के जनता दरबार कार्यक्रम के दौरान सोमवार को हंगामा हो गया। लोगों को मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया। फेसबुक और इंटरनेट मीडिया मीडिया पर भगवंत मान का मैसेज पढ़ लोग मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं से अवगत करवाने के लिए चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन पहुंचे थे।
लोग जब चंडीगढ़ पहुंचे तो उनको अंदर नहीं जाने दिया गया। मुख्यमंत्री से मिलने वाले लोगों को कहा गया है कि उनका नाम लिस्ट में नहीं है। लोगों ने आरोप लगाए कि लिस्ट कहां बनी किसी ने बनाई कुछ पता नहीं। मुख्यमंत्री से मिलने के लिए रोजगार की मांग कर रहे अलग-अलग कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी, विभिन्न जिलों की गांवों के पंचायत सदस्यों के अलावा पारिवारिक, विभागीय समस्याओं से ग्रस्त लोग पहुंचे थे।
यह लोग मुख्यमंत्री से नहीं मिल सके। इस दौरान पंजाब भवन के सामने लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। हालांकि बाद में कुछ लोगों को मुख्यमंत्री से मिलने की अनुमित दी गई।
सरकार ने जमीन छीन हमें कर दिया बेरोजगार
जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव छड़जीकलां के तरसेम सिंह, तेजिंदर सिंह, जसविंदर सिंह, वरिंदर सिंह, परविंदर सिंह ने कहा कि 417 एकड़ शामलाट जमीन का विवाद है। 1904 से हमारे बुजुर्ग इस जमीन पर खेती कर रहे थे, लेकिन अब हम से सरकार ने जमीन छीन ली है। सरकारी नौकरी है नहीं रोजगार मिल नहीं रहा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जमीन छीन हमें बेरोजगार कर दिया। हमें तो इस जनता दरबार का पता भी नहीं था। सुबह फेसबुक पर मैसेज देखा और मुख्यमंत्री से मिलने के लिए निकल पड़े, लेकिन यहां हमें मिलने नहीं दिया जा रहा। यह कैसा जनता दरबार है।
जिला मोहाली के गांव चंदपुर से आए अशोक कुमार, वेदप्रकाश ने कहा कि उनका भी 86 एकड़ शामलाट जमीन का ही विवाद है, जिस पर एक कांग्रेसी नेता ने कब्जा कर रखा है। इसकी शिकायत बीडीपीओ से लेकर सबसे की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
नौकरियों के नाम पर सिर्फ लालीपाप
शिक्षा प्राेवाइडर कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार लोगों को मूर्ख बना रही है। 13000 कर्मचारियों को पक्का करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा, जबकि चुनाव से पहले कर्मचारियों के साथ फोटो खिंचवाए जाते थे। सरकार कर्मचारियों के साथ धोखा कर रही है।
गुरप्रीत सिंह गुरी, हरप्रीत कौर ने कहा कि बीती 27 अप्रैल को नौकरी की मांग को लेकर मुख्यमंत्री की माता जी से भी मिले, लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा। फायर बिग्रेड कर्मचारियों ने कहा कि राज्य में 750 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिन को 9500 रुपये वेतन दिया जा रहा है। हमारी मांग है कि वेतन 20 हजार येपये किया जाए।
उन्होंने कहा कि उनकी नौकरी पक्की की जाए, लेकिन कर्मचारियों को मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया जा रहा। पटवारी यूनियन के करण शर्मा, अशोक ने कहा कि 26 हजार नौकरियां सरकार की ओर से निकली जा रही हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार में निकली 1152 पटवारियों को भर्ती नहीं किया जा रहा। सरकार सिर्फ दिखाने के लिए काम कर रही है।
यह भी पहुंचे अपनी समस्याएं लेकर
मंडी गोंबिंदगढ़ से आए सतीश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी सरोज नगर पालिका में सरकारी नौकरी करती थी, लेकिन कुछ दिक्कतों के कारण छोड़नी पड़ी। इसको लेकर मुख्यमंत्री से मिलने आए हैं। फेसबुक से इसके बारे में जानकारी मिली।
समराला से आए अवतार सिंह रोजवाल ने कहा कि उनका कर्ज को लेकर विवाद चल रहा है। वह पूर्व कांग्रेस सरकार से भी इस मसले को उठा चुके हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसी मसले को लेकर व मुख्यमंत्री से मिलने आए। इसके अलावा पारिवारिक समस्याओं, अवैध कब्जों, विभागों में दिक्कतों को लेकर लोग मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे।
10 साल अदालतों में धक्के खाकर मिली जीत के बावजूद नहीं मिल रहा एनपीए
बताया जा रहा है कि जनता दरबार कार्यक्रम में सरकार की ओर से केवल 200 लोग ही बुलाए गए थे, लेकिन इंटरनेट मीडिया पर मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम को न्योता समझकर अलग-अलग जगहों से लोग यहां आ गए और पुलिस ने उन्हें पंजाब भवन के बाहर ही रोक लिया।
पिछले 10 सालों से अदालती लड़ाई जीतने वाले डाक्टर रघुनाथ ने बताया कि 2006 में लागू किया गया पांचवा वेतन कमीशन तो डाक्टरों को दे दिया गया है, लेकिन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार मिलने वाला नान प्रैक्टिस अलाउंस डाक्टरों को नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने हाई कोर्ट में भी कंटेंपट डाली हुई है, लेकिन हेल्थ मिनिस्टर और विभिन्न अधिकारियों से मिलने के बावजूद 70 के करीब 2006 से लेकर 2011 तक रिटायर होने वाले डाक्टरों को एनपीए नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी डाक्टरों की आयु अब 70 से 75 साल के बीच में हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने इंटरनेट मीडिया पर आज सार्वजनिक तौर पर शिकायतें सुनने का न्योता दिया था, लेकिन अब हमें अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है।
खरड़ तहसील से आए एक बुजुर्ग ने बताया कि उनका भाई 1962 की लड़ाई में शहीद हो गया था, तब सरकार ने उन्हें 10 एकड़ जमीन सियाडा गांव देने का फैसला किया, लेकिन आज तक उन्हें यह जमीन मिल नहीं पाई है। जब भी वह डिप्टी कमिश्नर या वित्त आयुक्त राजस्व से मिलने जाते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि उनकी फाइल गुम हो गई है।
खमाणों तहसील के गांव हरगना से आए फ्रीडम फाइटर एसोसिएशन के प्रधान शिंगारा सिंह ने कहा कि गांव की शामलात जमीन ए जिन पर उन्हें खेती करने के लिए अधिकृत किया गया था उस पर कब्जा कर लिया गया है। अब कोई भी अधिकारी उनकी नहीं सुन रहा है। कहा कि उसने कई बार अलग-अलग मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भी दिए, आज भी यहां ज्ञापन देने आया था, लेकिन पुलिसकर्मी उसे अंदर नहीं जाने दे रहे हैं।