Unique Decision: पंजाब के एक मामले में हाई कोर्ट का अनोखा फैसला, याचिकाकर्ता को 75 पौधे लगाने का आदेश
Unique Decision पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने अनोखे फैसले में याचिकाकर्ता को बारहमासी 75 पौधे लगाने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने यह फैसला पंजाब के नवांशहर निवासी अमरीक सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए दिया है।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक अनोखे फैसले में याचिकाकर्ता को अपने निवास के आस पास बारहमासी 75 पौधे लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने नीम, आंवला, गुलमोहर और या एलस्टोनिया जैसे प्राकृतिक पौधे लगाने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि केवल पौधे लगाना ही काफी नहीं है इनकी उचित देखभाल भी जरूरी है।
याची द्वारा पौधरोपण संबंधित जिला बागवानी अधिकारी की देखरेख में किया जाएगा। इसके बाद बागवानी विभाग द्वारा याची को पौधरोपण किए जाने का एक पत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में यह पत्र दिया जाएगा। हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा ने यह आदेश नवांशहर निवासी अमरीक सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए दिया।
अमरीक सिंह मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) नवांशहर के समक्ष लंबित एक मामले के संबंध में अपना लिखित बयान दर्ज कराना चाहता था, लेकिन तय समय पर वह अपने लिखित बयान दर्ज नहीं करवा सका। हाई कोर्ट को बताया गया कि वह एक दुर्घटना करने वाली कार का मालिक है। याचिकाकर्ता 90 प्रतिशत विकलांग है और चलने में असमर्थ है और इसलिए व्यक्तिगत रूप से अदालत की सुनवाई में भी शामिल नहीं हो सकता है। एमएसीटी ने समय सीमा के बाद उसके बयान दर्ज करने से इन्कार करते हुए फैसला सुनाने का निर्णय लिया था।
याची ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि बचाव में जवाब दायर न करने के कारण उसे अपूरणीय क्षति होगी, इसलिए उसे एक अवसर दिया जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि सभी तथ्यों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि याची ने जानबूझकर अपना जवाब दायर नहीं किया, इसलिए कोर्ट न्याय हित में जुर्माने के साथ याचिकाकर्ता को लिखित बयान दर्ज करने का एक और मौका देता है। याची को दस हजार रुपये के जुर्मानेे के एवज में बारहमासी 75 पौधे लगाने होंगे।
याचिकाकर्ता को मुकदमे से पहले तय की गई तारीख पर या उससे पहले अपना बयान दर्ज करने के लिए छूट दी दी जाती है, लेकिन यह सब पौधरोपण की शर्त पर निर्भर करेगा। हाई कोर्ट ने इस आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने का निचली अदालत को आदेश भी दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता ऐसा करने में चूक करता है तो रजिस्ट्री को हाई कोर्ट की अवमानना की रिपोर्ट करने की छूट दी जाती है।