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पंजाब के बीज घोटाले पर केंद्र सरकार भी हुई सतर्क, पूरे मामले पर मांगी रिपोर्ट

पंजाब के धान बीज घोटाले पर केंद्र सरकार भी अलर्ट हो गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 04:43 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 04:43 PM (IST)
पंजाब के बीज घोटाले पर केंद्र सरकार भी हुई सतर्क, पूरे मामले पर मांगी रिपोर्ट
पंजाब के बीज घोटाले पर केंद्र सरकार भी हुई सतर्क, पूरे मामले पर मांगी रिपोर्ट

चंडीगढ़ए जेएनएन। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पंजाब में हुए बीज घोटाले पर रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने धान के बीज घोटाले का संज्ञान लिया है और सरकार से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। अगर रिपोर्ट संतोषजनक नहीं हुई तो केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप करेगी।

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा- अध्यादेश से खत्म नहीं होगा संघीय ढांचा

गौरतलब है कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) लुधियाना की अनुमति के बिना की पंजाब में कुछ बीज विक्रेता धान का बीज पीआर-128 और पीआर-129 बेच रहे थे। पीएयू ने यह बीज पिछले साल किसानों को ट्रायल के तौर पर बांटे गए थे। इस मामले में अभी तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। विपक्ष इस मामले में सरकार की घेराबंदी कर रहा है।

उन्‍हाेंने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि व किसानों के लिए अध्यादेश से मौजूदा मंडीकरण सिस्टम को कोई खतरा नहीं है। किसान अपनी फसल को मंडी में बेच सकते हैं। उन्हें पूरा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नए संशोधन में केवल यह किया गया है कि अगर मंडी के बाहर उन्हें अच्छा दाम मिल रहा है, तो वह बाहर भी बेच सकते हैं। केंद्र सरकार ने किसानों को उनकी अपनी फसल कहीं पर भी बेचने का अधिकार दिया है।

तोमर ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर किसानों में भ्रम फैलाने में लगे हैं। यह कहना गलत है कि इन अध्यादेशों से संघीय ढांचे को खतरा है। पीएम मोदी खुद इसकी जोरदार वकालत करते हैं। पीएम बनते ही उन्होंने राज्यों को अधिक वित्तीय अधिकार दिए।

बाधा मुक्त व्यापार को बढ़ावा

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले राज्यों के बीच एक बाधा मुक्त व्यापार के उद्देश्य से खेती उपज व्यापार व वाणिज्य (सुविधा और संवर्धन) अध्यादेश-2020 को मंजूरी देकर रास्ता साफ कर दिया था। यह किसानों को देश भर में अपनी फसल कहीं भी बेचने और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की अनुमति देगा। खरीदारों को पैन कार्ड के बदले लाइसेंस की भी आवश्यकता नहीं होगी। विवाद होने पर पहले एसडीएम व फिर कलेक्टर के पास अपील की जा सकेगी।

उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में किसान राज्य विनियमित कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) पर निर्भर हैं और तंग नियमों व प्रवेश बाधाओं का सामना करने के लिए मजबूर हैं। ये नियम उचित मूल्य को प्रभावित कर सकते हैं। राज्य के प्रतिबंधों ने देश भर में कृषि उत्पादोंं की आवाजाही को रोक कर रखा था। केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग मंत्री हरसिमरत बादल के विरोध करने के सवाल पर तोमर ने कहा कि हरसिमरत बादल ने कोई विरोध नहीं किया है।

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नए सिस्टम से बर्बाद हो जाएंगे किसान: भगवंत

केंद्र के अध्यादेश को देश के संघीय ढांचे पर प्रहार बताते हुए आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान ने कहा है कि मोदी सरकार पंजाब व हरियाणा के किसानों को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुली है। मीडिया से बातचीत में मान ने कहा कि केंद्र ने दोनों राज्यों में उपलब्ध बेहतरीन मंडी व्यवस्था को खत्म करने व गेहूं-धान पर एमएसपी को खत्म करने के लिए यह तानाशाही भरा अध्यादेश पारित किया है। हरसिमरत कौर बादल भी केंद्रीय मंत्रिमंडल की उस बैठक में मौजूद थीं, जिसमें पंजाब व हरियाणा के अधिकारों पर केंद्र सरकार डाका डाल रही थी।

उन्‍होंने कहा कि एमएसपी व मौजूदा मंडीकरण प्रबंध खत्म करके मोदी सरकार जिन  अडानियों-अंबानियों को पंजाब में उतारने जा रही है, वह कलस्टर कृषि की आड़ में किसानों व खेत मजदूरों को गुलाम बनाएंगे। इससे 30 हजार से अधिक आढ़ती खत्म हो जाएंगे। तीन लाख से अधिक मुनीम, पल्लेदार व चालक-ट्रांसपोर्ट पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। 1434 खरीद केंद्र बेकार व मंडी बोर्ड की तरफ से ग्रामीण विकास फंड के साथ बनाई गई 71 हजार किलोमीटर लंबी लिंक सड़कें बेकार हो जाएंगी। पंजाब के खजाने को हर साल 12 हजार करोड़ से अधिक का सीधा नुकसान होगा। क्या हरसिमरत बादल की कुर्सी की कुर्बानी के लिए इतना नुकसान कम है?


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