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फ्लैट्स मिलने का रास्ता साफ, 2008 की हाउसिंग स्कीम के लिए 2019 में अलॉट होगी जमीन

शहर के लोगों के लिए सस्ते फ्लैट्स का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 12:12 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 06:39 PM (IST)
फ्लैट्स मिलने का रास्ता साफ, 2008 की हाउसिंग स्कीम के लिए 2019 में अलॉट होगी जमीन
फ्लैट्स मिलने का रास्ता साफ, 2008 की हाउसिंग स्कीम के लिए 2019 में अलॉट होगी जमीन

जासं, चंडीगढ़ : केंद्रीय कैबिनेट ने सेल्फ फाइनेंसिंह हाउसिंग स्कीम के लिए चंडीगढ़  हाउसिंग बोर्ड को जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने इसे मंजूरी दी। खास बात यह है कि यह स्कीम साल 2008 में लॉन्च हुई थी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को दिल्ली में कैबिनेट की ओर से दी गई मंजूरी की जानकारी दी। इसके तहत हाउसिंग बोर्ड को इंप्लाइज के 3930 फ्लैट्स बनाने के लिए 61.5 एकड़ जमीन आवंटित की जाएगी। सीएचबी को यह जमीन कलेक्टर रेट के हिसाब से ही मिलेगी। इस कारण इंप्लाइज को मिलने वाले फ्लैट भी अब दोगुणे रेट पर मिलेंगे।

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2008 में चिह्नित की गई थी 73.3 एकड़ जमीन

यूटी प्रशासन ने 2008 में यह स्कीम लांच की थी। जिसके लिए सेक्टर-52, 53 और सेक्टर-56 में कुल 73.3 एकड़ जमीन चिह्नित की गई थी । जिसमें से 11.8 एकड़ जमीन पहले से ही सीएचबी को मिल चुकी थी। इस पर फ्लैट बनाने के लिए अब नए प्रस्ताव के तहत 61.5 एकड़ जमीन हाउसिंग बोर्ड को मिलेगी।

खास बात

  • चंडीगढ़ में इंफ्रास्ट्रक्चर और बड़े प्रोजेक्ट के लिए जमीन नहीं बची है। - 2900 में से करीब 700 एकड़ जमीन ही खाली बची है।

8 साल से जमा थी 25 प्रतिशत राशि

यूटी प्रशासन ने इस स्कीम के लिए सीएचबी को नोडल एजेंसी अपॉइंट किया था। जिसके बाद 2008 में सीएचबी ने सेल्फ फाइनेंसिंग हाउसिंग स्कीम टाइटल से इसे विज्ञापित किया। 99 साल की लीज होल्ड बेस पर यह फ्लैट इंप्लाइज को मिलने थे। स्कीम के तहत चंडीगढ़ प्रशासन, बोर्ड, कारपोरेशन, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और यूटी में डेपुटेशन पर कार्यरत इंप्लाइज अलग-अलग केटेगरी में आवेदन कर सकते थे। 4 नवंबर 2010 को इस स्कीम के लिए ड्रा निकाला गया था। तीन अलग-अलग केटेगरी में वन, टू और थ्री बेडरूम के लिए 7811 इंप्लाइज ने आवेदन किया था। जिनमें से 3930 का ड्रा में नाम निकला था। ड्रा के बाद सफल अलॉटियों से 25 प्रतिशत राशि यानी 57 करोड़ रुपये भी जमा करवा लिए थे। यह रकम अभी तक सीएचबी के पास जमा है।

निराश हो चुके थे कर्मी, की थी जमा रकम पर ब्याज की मांग

फ्लैट नहीं मिलने से निराश कर्मचारियों ने अब इस रकम का ब्याज तक मांगना शुरू कर दिया था। लेकिन 2012 में प्रशासन ने इस स्कीम के लिए जमीन देने में असमर्थता जता दी। तत्कालीन प्रशासक शिवराज वी पाटिल ने इसे बंद करने के आदेश दिए थे। इसका मुख्य कारण पुराने रेट पर जमीन अलॉट करने से एमएचए की मनाही थी। इसके बाद लैंड इक्वीजिशन एक्ट में भी बदलाव हो गया

लोकल लेवल पर मिलेगा रोजगार

कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को इस शर्त के साथ मंजूरी दी है कि इससे लोकल लेवल पर रोजगार दिया जाए। फ्लैट कंस्ट्रक्शन में लेबर और इंजीनियर्स को लोकल लेवल पर रोजगार मिल सकेगा। जब तक यह प्रोजेक्ट चलेगा तब तक उन्हें रोजगार मिलेगा ।

वेलफेयर सोसायटी ने जताई खुशी

यूटी इंप्लाइज सीएचबी हाउसिंग वेलफेयर सोसायटी चंडीगढ़ ने बुधवार को इस फैसले के बाद आपातकालीन बैठक बुलाई। इसकी अध्यक्षता सरदार बलविन्दर सिंह ने की। मीटिंग में सोसायटी के महासचिव डॉ. धर्मेंद्र ने बताया कि आज केंद्र सरकार की कैबिनेट ने 11 साल पुरानी इम्पलाइज हाउसिंग स्कीम की मंजूरी दे दी है। इस पर सोसायटी के सभी पदाधिकारियों और उपस्थित सभी सदस्यों ने खुशी जाहिर की। कर्मचारियों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन, सांसद किरण खेर के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह का भी धन्यवाद किया। कर्मचारी नेताओं ने प्रशासक वीपी सिंह बदनौर और अन्य अधिकारियों का भी आभार जताया। इस मौके पर कर्मचारी नेता नरेश कोहली, रामप्रकाश शर्मा, रवीन्द्र कौशल, नरेश कुमार, डॉ रमेश कुमार, तेगिन्दर ङ्क्षसह, जसपाल ङ्क्षसह, जसजीत कौर जगत कौर, अनिता कुमारी उपस्थित रहे।

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चंडीगढ़ के इंप्लाइज की यह लंबित मांग थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी इसे करवाने का वायदा किया था। कर्मचारियों की दिक्कत को समझते हुए वह लगातार इसके लिए प्रयास कर रही थी। उन्हीं के प्रयास से यह फाइल दोबारा शुरू हुई थी। कैबिनेट नोट भी उन्होंने ही बनवाकर भेजा था। कई बार गृह मंत्री से मुलाकात कर मांग उठाई। जिसका नतीजा है कि अब फ्लैट बनाने के लिए जमीन मिल जाएगी।

- किरण खेर, सांसद, चंडीगढ़

अगर आवेदक सरकारी कर्मचारी खुश है तो अच्छा है। लेकिन मार्केट वैल्यू पर ही अगर जमीन मिलनी है तो फिर कोई राहत कहां मिली है। प्रोजेक्ट के लिए कलेक्टर रेट से कम पर जमीन मिलनी चाहिए ताकि कर्मचारियों को सस्ते रेट पर फ्लैट मिलें।

-  पवन बंसल, पूर्व रेल मंत्री

यह सभी कर्मचारियों की जीत है। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों से वायदा किया था और पार्टी ने अपना वायदा निभाया है। प्रशासन अब जल्द से जल्द फ्लैट का निर्माण शुरू करेगा

- संजय टंडन, अध्यक्ष, भाजपा।

लंबा संघर्ष रहा लेकिन अब फ्लैट मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इसकी इंप्लाइज में खुशी है। उम्मीद करते हैं कंस्ट्रक्शन भी जल्द शुरू हो जाएगी ।

- नरेश कोहली, उपाध्यक्ष, यूटी इंप्लाइज वर्कर्स यूनियन

सरकार का यह बहुत अच्छा फैसला है। कर्मचारियों को लंबे समय से मकान नहीं होने से परेशानी झेलनी पड़ रही थी। अब उन्हें अपने मकान मिल जाएंगे।

-अजीत सिंह, चेयरमैन, कोऑडिनेशन कमेटी ऑफ गवर्नमेंट एंड एमसी इंप्लाइज यूनियन

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फ्लैट मिलने का इंतजार खख्त होने से पहले जा चुकी है कई कर्मियों की जान

यूटी इंप्लाइज सीएचबी हाउसिंग वेलफेयर सोसायटी के जनरल सेक्रेटरी डॉ. धर्मेंद्र का कहना है कि अपने फ्लैट का इंतजार करते हुए कई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। सेवानिवृत होने के बाद कर्मचारियों को रहने की जगह नहीं मिल रही थी। रिटायरमेंट के बाद किराये के मकानों में रह रहे थे। स्कीम की शर्त थी कि कर्मचारी के नाम प्रापर्टी नहीं होनी चाहिए। इस कारण वह अपना मकान तक नहीं ले पा रहे थे। अब कैबिनेट की मंजूरी से जमीन मिल जाएगी और फ्लैट कंस्ट्रक्शन शुरू जाएगा। यह कर्मचारियों के लिए संजीवनी से कम नहीं है।

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