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छोटा-मोटा काम करने वाले बेरोजगार खोज रहे कमाई के विकल्प, रोजगार के लिए गेहूं कटाई में जुटे

कर्फ्यू के दौरान काम बंद होने के कारण युवा रोजगार के लिए खेतों में जुट गए हैं। गेहूं की कटाई के बदले में उन्हें पैसे के बजाय अनाज दिया जा रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 10:48 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 10:48 AM (IST)
छोटा-मोटा काम करने वाले बेरोजगार खोज रहे कमाई के विकल्प, रोजगार के लिए गेहूं कटाई में जुटे
छोटा-मोटा काम करने वाले बेरोजगार खोज रहे कमाई के विकल्प, रोजगार के लिए गेहूं कटाई में जुटे

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। लगभग 15 दिनों से फतेहगढ़ साहिब के गांव मेण माजरा के रवि को फर्नीचर ढुलाई का कोई काम नहीं मिला है। वह और उसका दोस्त रोहित मोहाली में एक फर्नीचर की कंपनी के लिए काम करते हैं। आने वाले दिनों में भी हालात में कोई सुधार होंगे, दोनों को ऐसा लग नहीं रहा। सतनाम सिंह भी इसी गांव का है। वह खरड़ और मोहाली में नई बनने वाली कोठियों और फ्लैटों में बिजली फिटिंग का काम करता है, लेकिन 15 दिनों से काम बंद होने के कारण उसकी कोई दिहाड़ी नहीं लग रही है।

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डडियाना गांव का बरिंदर नाई का काम करता है, लेकिन कर्फ्यू के कारण सभी दुकानें बंद हैं। ऐसे में उसका काम भी छूट गया है। हरजिंदर सिंह रिकू और काला मकान बनाने के लिए दिहाड़ी का काम करते हैं, लेकिन 15 दिनों से खाली बैठे हैं। बची-खुची पूंजी भी खाने-पीने का सामान लेने में खत्म हो गई है।

लिहाजा, इन सभी ने गेहूं की कटाई का काम बटाई पर ले लिया है। आज से इन्होंने गांव डडियाना में गेहूं कटाई का काम शुरू कर दिया है। हालांकि, इस गांव में ज्यादातर लोग कंबाइन से ही कटाई करवाते हैं, लेकिन कंबाइन अभी मध्य प्रदेश, गुजरात आदि में गई होने के कारण पंजाब में पहुंची नहीं है, जिसके चलते फिलहाल किसानों ने इनसे दिहाड़ी पर गेहूं की कटाई शुरू कर दी है।

आमतौर पर बारिश में जो फसल बिछ जाती है, उसी की कटाई हाथों से करवाई जाती है। शेष सभी किसान अपनी फसल की कटाई कंबाइन से करते हैं, क्योंकि कंबाइन के जरिए फसल कटवाना जहां सस्ता पड़ता है, वहीं काम काफी तेजी से खत्म हो जाता है। क्योंकि आगे धान की फसल जून के मध्य में लगती है, इसलिए इन दिनों किसान अल्प अवधि वाली मूंग दाल या सब्जियां आदि लगाकर गुजारे लायक काम कर लेते हैं।

एक एकड़ कटाई करने पर दो क्विंटल गेहूं

कोरोना संक्रमण के चलते अलग-अलग काम में लगे युवा अपने आने वाले समय के बारे में सोच रहे हैं। रवि का कहना है कि पहले क्योंकि गाड़ी आदि चलाने में वह ज्यादा व्यस्त रहते थे, इसलिए गेहूं बाजार से ही खरीदते थे, लेकिन इस साल उन्होंने किसानों से बात कर ली है। वह एक एकड़ कटाई करने पर 2 क्विंटल गेहूं उन्हें देंगे। उसने बताया कि घर में खाली बैठे बोर होने से अच्छा है कि वह साल भर के लिए घर में जरूरत के अनुसार गेहूं इकट्ठा कर ले। यह अभी शुरुआत है, इसलिए इन्हें फिलहाल तो काम मिल रहा है, लेकिन अगर कंबाइन पंजाब में पहुंच गई तो इनके काम पर गहरा असर पड़ सकता है।

हाथ से कटाई में होगा फायदा

किसान अवतार सिंह ऐसा मानते हैं कि गेहूं की कटाई अब हाथों से नहीं करवाई जा सकती, क्योंकि काम बहुत ज्यादा होता है। इतनी लेबर मिलना मुश्किल है, इसलिए किसानों की पहली प्राथमिकता कंबाइन के जरिए कटाई करवानी ही होती है। एक अन्य किसान मोहनजीत धालीवाल का मानना है कि हाथ से कटाई करवाने पर किसानों को इस साल ज्यादा फायदा होगा। पहले दिहाड़ीदार कम होने के कारण उनकी दिहाड़ी महंगी होती थी, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। उन्हें लगता है कि अगर किसान चाहे तो उन्हें सस्ती दर पर लेबर आसानी से मिल सकती है, क्योंकि सरकार ने केवल गेहूं की कटाई मंडियों में इसकी सफाई और ढुलाई के काम को ही छूट दी है।

पैसे के बजाय गेहूं

युवा हरजिंदर सिंह ने बताया कि बचपन में वह अपने मां बाप को हाथ से ही कटाई करते हुए देखता था, लेकिन धीरे-धीरे यह काम कम होता चला गया लंबे समय बाद खुद उसने दरांती उठाई है। अगर इस साल हाथों से कटाई ज्यादा हुई तो मंडियों में गेहूं की आवक भी कम हो सकती है, क्योंकि स्थानीय लेबर किसानों से पैसा लेने की बजाय गेहूं लेने को प्राथमिकता देगी।

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