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इस म्यूजियम में हैं 180 लाख साल से भी पुराने जीवाश्म, अब इसके विस्तार पर खर्च होंगे 30 लाख रुपये

यह देश का एकमात्र ऐसा म्यूजियम है, जहां पर 180 लाख साल से लेकर 20 लाख साल पुराने जीवाश्म मौजूद हैं। इसके विस्तार को यूजीसी के सेंटर ऑफ एडवांस स्टडीज की तरफ से ग्रांट जारी कर दी गई है।

By Sat PaulEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 03:45 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 03:45 PM (IST)
इस म्यूजियम में हैं 180 लाख साल से भी पुराने जीवाश्म, अब इसके विस्तार पर खर्च होंगे 30 लाख रुपये
इस म्यूजियम में हैं 180 लाख साल से भी पुराने जीवाश्म, अब इसके विस्तार पर खर्च होंगे 30 लाख रुपये

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। पंजाब यूनिविर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट का एसआरके चोपड़ा म्यूजियम 30 लाख रुपये की लागत से बढ़ेगा। म्यूजियम के विस्तारीकरण के लिए यूजीसी के सेंटर ऑफ एडवांस स्टडीज की तरफ से ग्रांट जारी कर दी गई है। यह देश का एकमात्र ऐसा म्यूजियम है, जहां पर 180 लाख साल से लेकर 20 लाख साल पुराने जीवाश्म मौजूद हैं। यह जीवाश्म विभिन्न जानवरों से लेकर इंसान की उत्पति के हैं। म्यूजियम में शिवालिक की पहाडिय़ों से मिले अवशेषों के आधार पर इंसान की आकृतियों तैयार की गई हैं। इसके अलावा यहां पर अफ्रीका, चाइना, इंडोनेशिया और यूरोप से मिले जीवाश्म और मानव अवशेषों को स्थापित किया गया है। इसमें एक हजार से भी ज्यादा अवशेष मौजूद हैं।

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1975 में स्थापित हुआ था म्यूजियम

म्यूजियम की नींव वर्ष 1975 में प्रो. एसआरके चोपड़ा ने रखी थी। उन्हीं के नाम पर म्यूजियम का नाम भी रखा गया था। म्यूजियम में 10 से 12 प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलर का खोजा गया सामान रखा गया है। यह सामान इंसान और जानवरों के शरीर की संरचना से लेकर विभिन्न सभ्यताओं के दर्शन भी कराती है।

सिंधू घाटी, नव-पूर्व पाषण काल की संस्कृति है मौजूद

म्यूजियम में सिंधू घाटी सभ्यता के लोगों की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले आभूषणों से लेकर उनकी तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले औजार की कलाकृतियों को रखा गया है। यह आभूषण और औजार पत्थर के बने हुए हैं, जो कि अलग-अलग प्रकार के थे।

जिराफ और दरियाई घोड़ा के अवशेष भी हैं मौजूद

एसआरके म्यूजियम एक ऐसा म्यूजियम है, जहां से पता चलता है कि भारत में किसी समय पर जिराफ और दरियाई घोड़े जैसे जानवर भी होते थे। यह जानवर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मौजूद शिवालिक की पहाडिय़ों से मिले हैं। इससे साफ होता है कि जो जानवर अब दूसरे देशों में देखते हैं, वह भारत में भी हुआ करते थे।

इंसान की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी है म्यूजियम में : प्रो. गौड़

एंथ्रोपोलॉजी विशेषज्ञ प्रो. राजन गौड़ ने बताया कि म्यूजियम की जब स्थापना हुई तो उस समय वह यहां स्टूडेंट के तौर पर थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद एंथ्रोपोलॉजी की रिसर्च में जुट गया। इसके बाद कुछ खोज तो अकेले की है और कुछ रिसर्च अपने स्टूडेंट्स के साथ शिवालिक की पहाडिय़ों पर जाकर कर की है। रिसर्च से साफ होता है कि इंसान के पहले स्वरूप की शुरुआत भारत से हुई थी, लेकिन उसका वर्तमान स्वरूप 40 हजार साल पहले हुआ था। यह अवशेष अफ्रीका से मिले थे।

म्यूजियम में बहुत सारे अवशेष: प्रो. केवल कृष्ण

एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन प्रो. केवल कृष्ण का कहना है कि म्यूजियम में बहुत सारे अवशेष हैं। अवशेषों के अलावा इसमें विभिन्न संस्कृतियों को दिखाते हुए सामान को भी लगाया गया है। इंसान का जन्म कैसी स्थिति में हुआ इसकी बहुत से जानकारी म्यूूजियम में मौजूद हैं। यहां पर ज्यादातर शिवालिक की पहाडिय़ों से मिले जीवाश्म और अवशेष हैं। अफ्रीका और यूरोप में इंसान के कई आकार हो सकते हैं। इसके लिए काम किया जा रहा है। वह सामान भारत के इस म्यूजियम में लगाया जाए इसके लिए इसे बड़ा करने की योजना है। ग्रांट मंजूर हुई है जैसे ही पैसे डिपार्टमेंट को मिलते है, कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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