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जमीन के फर्जीवाड़े में फंसे प्रॉपर्टी डीलर, नायब तहसीलदार और पटवारी से विजिलेंस को मिले अहम सुबूत

रिमांड लेते समय विजिलेंस ने तर्क दिया कि आरोपित श्याम लाल के पास कुछ एग्रीमेंट बरामद हुए हैं और उससे 20 एकड़ के करीब जमीन के सौदे के सुबूत सामने आए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 08:00 AM (IST)
जमीन के फर्जीवाड़े में फंसे प्रॉपर्टी डीलर, नायब तहसीलदार और पटवारी से विजिलेंस को मिले अहम सुबूत
जमीन के फर्जीवाड़े में फंसे प्रॉपर्टी डीलर, नायब तहसीलदार और पटवारी से विजिलेंस को मिले अहम सुबूत

जागरण संवाददाता, मोहाली : विजिलेंस द्वारा गांव स्युंक व कुछ अन्य गांवों की शामलात जमीन की गलत दस्तावेजों के जरिये रजिस्ट्री कराने व इंतकाल चढ़ाने के मामले में गिरफ्तार नायब तहसीलदार वरिदरपाल सिंह धुत, पटवारी इकबाल सिंह, नंबरदार गुरनाम सिंह व प्रॉपर्टी डीलर श्याम लाल को रिमांड की पिछली अवधि के बाद मंगलवार को दोबारा चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया। इसके जरिये विजिलेंस की ओर से दोबारा रिमांड की मांग की गई। रिमांड लेते समय विजिलेंस ने तर्क दिया कि आरोपित श्याम लाल के पास कुछ एग्रीमेंट बरामद हुए हैं और उससे 20 एकड़ के करीब जमीन के सौदे के सुबूत सामने आए हैं। विजिलेंस का यह तर्क भी था कि मामले में कई जरूरी दस्तावेज व अहम सुबूत जांच एजेंसी के हाथ लगे हैं, जिसके बारे में आरोपितों से पूछताछ करनी है। उधर, बचाव पक्ष के वकील द्वारा पुलिस रिमांड का विरोध करते कहा कि नायब तहसीलदार सहित चारों व्यक्ति पिछले सात दिनों से पुलिस हिरासत में हैं और सात दिन रिमांड के लिए बहुत होते हैं। अदालत ने सरकारी पक्ष व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद नायब तहसीलदार वरिदरपाल सिंह धुत सहित चारों आरोपितों को और दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। मामले में इन्हें भी बनाया गया है आरोपित

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इस मामले में विजिलेंस की ओर से रघुबीर सिंह कानूनगो, बलबीर सिंह निवासी खुड्डा अलीशेर, तरसेम लाल निवासी गांव गूड़ा माजरी, जसविदर सिंह निवासी पैदपुर, गुरप्रीत सिंह निवासी गांव मस्तगढ़, मनवीर सिंह व काबल सिंह निवासी गांव रुपाणा जिला श्री मुक्तसर साहिब को भी धारा -409, 420, 465, 466, 467, 471, 120बी व भ्रष्टाचार एक्ट के तहत नामजद किया है। गौरतलब है कि विजिलेंस जांच में सामने आया है कि 1946-47 से लेकर 1999-2000 तक के रिकार्ड के अनुसार यह जमीन शामलात की रही है। इस जमीन पर कभी खेती नहीं हुई। उक्त जमीन की गैरकानूनी तरीके से खरीद-फिरोख्त की गई है। 


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