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शहर के जुड़वा भाईयों ने एक महीने में जीते 13 मेडल

गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल-16 में पढ़ने वाले विजयवीर और उदयवीर सिद्धू ने एक महीने में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 13 मेडल जीते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 09:33 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 09:33 PM (IST)
शहर के जुड़वा भाईयों ने एक महीने में जीते 13 मेडल
शहर के जुड़वा भाईयों ने एक महीने में जीते 13 मेडल

विकास शर्मा, चंडीगढ़ : गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल-16 में पढ़ने वाले विजयवीर और उदयवीर सिद्धू ने एक महीने में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 13 मेडल जीते हैं। चेक रिपब्लिक में आयोजित आइएसएसएफ व‌र्ल्ड जूनियर शूटिंग होप्स में इन जुड़वा भाईयों ने 6 मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

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वहीं इससे पहले 22 से 29 जून के बीच जर्मनी में आयोजित आइएसएसएफ जूनियर शूटिंग व‌र्ल्ड कप में भी इन भाईयों ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। इसमें उदयवीर ने दो ब्रांज और एक गोल्ड मेडल जीता था। वहीं विजयवीर ने तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता था। अब चेक रिपब्लिक में इन दोनों जुड़वा भाईयों का जलवा बरकरार है। 28वीं शूटिंग होप्स में जीते 6 मेडल

उदयवीर सिद्दू -

-25 मीटर स्पो‌र्ट्स पिस्टल की इंडव्यूजल कैटेगरी में ब्रांज मेडल।

-25 मीटर स्पो‌र्ट्स पिस्टल के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल।

-10 मीटर एयर पिस्टल के टीम इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। विजयवीर सिद्धू

-25 मीटर स्पो‌र्ट्स पिस्टल की इंडव्यूजल कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता।

-25 मीटर स्पो‌र्ट्स पिस्टल के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता।

-50 मीटर फ्री पिस्टल के इंडव्यूजल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। शूटिंग के लिए मानसा छोड़कर चंडीगढ़ शिफ्ट हुआ परिवार

विजयवीर और उदयवीर सिद्धू दोनों मूल रूप से मानसा के रहने वाले हैं, लेकिन शूटिंग के प्रति इनका इतना जुनून इतना गहरा है कि इन्होंने साल-2015 में मानसा छोड़कर चंडीगढ़ शिफ्ट कर लिया था। अभी दोनों भाई जीएमएसएसएस-16 में 12वीं की पढ़ाई कर रहे हैं। दादी सुरिंदर कौर ने बताया कि उनके दोनों जुड़वा पोतों ने उनके बेटे के नक्शे कदम पर चलते हुए यह मुकाम पाया है। उनके बेटे स्वर्गीय गुरप्रीत सिंह का सपना था कि उनके दोनों जुड़वा बेटे देश के लिए कुछ कर सकें। जिसके लिए वह अपनी बहू रानो सिद्धू और पोतों को लेकर मानसा से चंडीगढ़ आ गए थे। दोनों भाईयों को जो भी बताया जाए वही करते हैं : कोच

पीयू शूटिंग रेंज में कोचिंग देने वाले दिलीप चंदेल ने बताया कि यह दोनों भाई सच्चे स्पो‌र्ट्समैन हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर जब शूटर को दो-चार साल शूटिंग की कोचिंग लेते हुए हो जाते हैं तो वह कोच की बजाय खुद प्रयोग करने लगता है, लेकिन यह दोनों भाई खेल के प्रति इतने समर्पित हैं कि इन्हें जो बताया जाए ये वही करते हैं। यही इनकी सफलता का राज है। उन्होंने कहा कि अभी इन दोनों भाईयों को बहुत आगे जाना है। मेरी शुभकामनाएं हमेशा इनके साथ हैं।


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