निजी स्कूलों पर ट्रस्ट का कब्जा, जिनका काम सिर्फ कमाई करना
सुनवाई के दौरान स्कूलों के प्रति चंडीगढ़ प्रशासन का रवैया सख्त दिखाई दिया।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ : फीस व अन्य आदेशों के खिलाफ निजी स्कूलों की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान स्कूलों के प्रति चंडीगढ़ प्रशासन का रवैया सख्त दिखाई दिया। चंडीगढ़ प्रशासन ने अपने जवाब में कहा कि स्कूलों के पास धन की कमी नहीं है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं। ज्यादातर स्कूल ट्रस्ट के हैं और यह याचिका दाखिल करके साबित कर दिया गया है कि यह ट्रस्ट केवल कमाई और स्कूल के नाम पर सस्ती जमीन लेने के लिए काम कर रहे हैं। यूटी प्रशासन ने कहा कि संकट के इस दौर में इस प्रकार याचिका दाखिल करते हुए मुसीबत में पड़े इन लोगों से की गई वसूली की मांग इनकी नीयत को दर्शाती है। यूटी प्रशासन ने स्कूलों की ओर से दाखिल की गई याचिका को सिरे से खारिज करने की हाई कोर्ट से मांग की। प्रशासन ने हाई कोर्ट को बताया कि कोरोना के चलते शिक्षा विभाग की इमारत सील है, इसलिए वो हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में अपना जवाब दायर नहीं कर पाए। खराब वित्तीय स्थिति वालों को लिविंग सर्टिफिकेट देने में न करें आनाकानी
हाई कोर्ट ने याचिका का दायरा और अधिक बढ़ा हरियाणा को इस मामले में शामिल करते हुए स्कूल लिविग सर्टिफिकेट विषय को भी इसमें शामिल कर लिया है। हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ के निजी स्कूलों को चेताया कि वह ऐसे छात्रों को स्कूल लिविग सर्टिफिकेट देने में जरा भी आनाकानी न करें, जो खराब वित्तीय स्थिति के कारण प्राइवेट छोड़कर सरकारी स्कूल में दाखिला लेना चाहते हैं। इस दौरान अभिभावकों की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें याचिका में पक्ष बना लिया है। हाई कोर्ट ने अभिभावकों से उनकी वित्तीय स्थिति को लेकर अगली सुनवाई पर हलफनामा सौंपने के भी आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई पर स्कूल और सरकार इस मामले में अपना पक्ष रखेंगे। अब सुनवाई 15 जुलाई को होगी।