करोड़ों रुपये के धोखाधड़ी मामले का ट्रायल होगा शुरू, दो साल बाद दायर हुई थी चार्जशीट
करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी और बेनामी प्रॉपर्टी बनाने के मामले में अब जिला अदालत की सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल शुरू होगा।
चंडीगढ़, जासं: करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी और बेनामी प्रॉपर्टी बनाने के मामले में अब जिला अदालत की सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल शुरू होगा। सीबीआइ ने अदालत में मामले में आरोपित तमिलनाडू कैडर के पूर्व आइएएस अफसर गुरनिहाल ङ्क्षसह पीरजादा और सुखबीर ङ्क्षसह शेरगिल के खिलाफ दो साल बाद चार्जशीट दायर कर दी। दो साल पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ को मामले की जांच करने के आदेश दिए गए थे। उस समय सीबीआइ ने 18 लोगों को केस में आरोपित बनाया था, लेकिन चार्जशीट में सीबीआइ ने सिर्फ दो लोगों को ही आरोपित बनाया है। मामले की अगली सुनवाई अब 15 फरवरी को होगी।
पीरजादा पर कई आरोप
सीबीआइ की जांच में सामने आया कि 2001 में पीरजादा पंजाब स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड में एमडी नियुक्त हुए। इस पोस्ट पर रहते हुए उन्होंने एक प्लान तैयार किया और इंडस्ट्रियल एरिया मोहाली फेज-8 के प्लॉट नंबर बी-101 को बिना किसी इन्वेस्टमेंट के हथियाने की कोशिश की। ये प्लॉट पीएसईडीपीसीएल के कंट्रोल में था और इसकी लीज होल्डर मिटगार्ट इंडिया लिमिटेड कंपनी थी, जिस पर कई फाइनेंशियल कंपनियों का लोन था। पीरजादा को ये जानकारी थी कि ये कंपनी कर्ज से छुटकारा चाहती है।
दोस्त शेरगिल के साथ पीरजादा ने बनाई कंपनी
महिंद्रा ग्रुप की एक कंपनी मोहाली में आइआइआइटी बनाना चाहती थी। पीरजादा ने महिंद्रा ग्रुप की उस कंपनी को प्लॉट नंबर बी-101 में रेंट पर आइआइआइटी बनाने का ऑफर दिया था। पीरजादा ने इसके बाद अपने दोस्त शेरगिल के साथ एक कंपनी बनाई और इस कंपनी के लिए उन्होंने 1.45 करोड़ के फंड अरेंज किए, जिनका इस्तेमाल उस प्लॉट के लोन सेटल करने में किया। पीरजादा ने अपनी पोस्ट का इस्तेमाल करते हुए उस प्लॉट की एनओसी भी हासिल कर ली और बाद में फर्जी डॉक्यूमेंट्स और सिग्नेचर्स के जरिए यह प्लॉट कंपनी के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया।