इलाज की तकनीकः इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलाजी से ब्रेन स्ट्रोक का इलाज संभव
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी हेड डॉ. संदीप शर्मा ने सेक्टर-27 स्थित प्रेस क्लब में कहा कि ब्रेन में फटे बड़े ब्रेन आर्टिरी बैलून को फ्लो डायवर्टर का उपयोग करने वाले एंडोवास्किलोइलिंग प्रोसेस को पूरा कर इलाज किया गया।
चंडीगढ़, जेएनएन। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसे तत्काल मेडिकल केयर देने की आवश्यकता रहती है क्योंकि इस स्थिति में मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन या न्यूट्रेंट्स प्राप्त नहीं होते हैं। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं (ब्रेन सेल) मर जाती हैं। एक व्यक्ति कैसे स्ट्रोक से प्रभावित होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क में स्ट्रोक कहां होता है और उससे कितना नुकसान होता है। फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी हेड डॉ. संदीप शर्मा ने यह बात कही। वह सेक्टर-27 स्थित प्रेस क्लब में वल्र्ड स्ट्रोक डे के मौके पर नई तकनीक की जानकारी देने पहुंचे थे।
उन्होंने बताया कि ब्रेन में फटे बड़े ब्रेन आर्टिरी बैलून को फ्लो डायवर्टर का उपयोग करने वाले एंडोवास्किलोइलिंग प्रोसेस को पूरा कर इलाज किया गया। सीधे शब्दों में कहें तो एक बिल्कुल पतला तार नसों के रास्ते अंदर भेजा जाता है। इसी तार पर पाइप अंदर चढ़ाते हैं जिस पर डिवाइस लगी होती है जो अंदर की स्थिति की रियल टाइम तस्वीरें भेजती है। इससे पूरी नसों को साफ किया जाता है। इसी से मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
गंभीर अवस्था में पहुंचे मरीज को किया ठीक : डॉ. संदीप शर्मा ने नई तकनीक से इलाज किए मरीजों की जानकारी देते हुए कहा कि पटियाला की 45 वर्षीय महिला रूबी को कोमा की स्थिति में मस्तिष्क में थ्रोम्बोस्ड डीप वेन्स की समस्या के साथ अस्पताल भेजा गया था। वे लगातार पता नहीं चलने वाले दौरों से काफी गंभीर अवस्था में थीं। जबरदस्त थ्रोम्बेक्टोमी और कैथेटर-आधारित थक्कों के जबरदस्त प्रभाव के साथ रोगी को लिया गया।
डॉ. शर्मा ने कहा कि उसी दिन उनका पूरा प्रोसीजर कर उनको कुछ ही दिनों में डिस्चार्ज कर दिया गया और उन्होंने काफी तेजी से स्वास्थ्यलाभ प्राप्त किया। दूसरे केस में खरड़ निवासी 75 वर्षीय गुरमीत सिंह काफी तेज और लगातार रहने वाले सिरदर्द की समस्या के साथ अस्पताल में आए थे। तेज सिरदर्द के बाद वे बेहोश भी हो जाते थे और वे काफी समय से इस समस्या से पीड़ित थे। दौरे आदि भी पड़ते थे। जांच के बाद पता चला कि मरीज के ब्रेन में एक काफी बड़ा ब्रेन आर्टिरी बैलून था जिसे नई तकनीक से ठीक किया।
दो तरह का होता है ब्रेन स्ट्रोक
डॉ. शर्मा ने स्ट्रोक के कई मामलों में से दो काफी दुर्लभ मामलों के सफलतापूर्वक इलाज की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक को ‘ब्रेन अटैक’ भी कहा जाता है और यह तब होता है जब मस्तिष्क में किसी क्षेत्र में रक्त का प्रवाह होता है। इसके दो प्रकार हैं एक इस्केमिक जिसमें रक्त प्रवाह की कमी के कारण और दूसरा हेमोरहेजिक स्ट्रोक यानि रक्तस्नाव के कारण जो होता है।
रक्त धमनी फटने या कमजोर रक्त वाहिका रिसाव (रक्तस्नावी) हेमोरहेजिक स्ट्रोक है। जबकि इस्केमिक स्ट्रोक वह है जिसमें मस्तिष्क तक रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिका में रक्त के थक्के (इस्केमिक) के कारण रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। स्ट्रोक का दूसरा रूप तब होता है जब थक्कों के कारण मस्तिष्क का वेनसोड्रेनेज रुक जाता है और विशेष रूप से इलाज करना मुश्किल होता है।
स्ट्रोक से बचने के तरीके
-मोटापा न होने दें
-खान-पान अच्छा रखें
-स्ट्रेस कम करें
-नियमित व्यायाम करें
-ब्लड प्रेशर-शुगर नियंत्रित करें
-घी और तेल से बनी चीजों को कम करें
-सिरदर्द को गंभीरता से लेना चाहिए।