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धान की रोपाई पर सरकार की नहीं चली, 13 जून से रोपाई, किसान अब भी नहीं संतुष्ट

पंजाब में धान की रोपाई 13 जून से शुरू होगी। पहले यह 20 जून तय थी लेकिन इसके बावजूद किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 12:49 PM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 12:49 PM (IST)
धान की रोपाई पर सरकार की नहीं चली, 13 जून से रोपाई, किसान अब भी नहीं संतुष्ट
धान की रोपाई पर सरकार की नहीं चली, 13 जून से रोपाई, किसान अब भी नहीं संतुष्ट

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में धान की रोपाई के लिए श्रमिकों की कमी हो सकती है, इसीलिए धान की रोपाई की तारीख सरकार ने जो 20 जून सुनिश्चित की थी, इस बार कम करके इसे 13 जून कर दिया है। किसानों और विपक्षी नेताओं का कहना है कि इसे 1 जून किया जाए।

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आखिर सरकार 20 जून से रोपाई क्यों करना चाहती थी सरकार? दरअसल, के 141 ब्लॉकों में से तीन चौथाई ब्लॉकों में भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है और जिन ब्लॉकों में भूजल नहीं गिरा है वहां भूजल खराब होना इसकी वजह है। पानी में शोरा होने के कारण यह न तो पीने के लिए काम में आता है और न ही सिंचाई के लिए। 2007-12 के कार्यकाल के दौरान बादल सरकार ने धान की रोपाई दस जून से पहले न करने के लिए कानून पास कर दिया।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करने से पानी का दोहन मई में निकाले गए पानी के मुकाबले कम हो जाता है। यदि इसे पंद्रह जून कर दिया जाए तो धान के लिए जितना पानी निकाला जाता है उतना ही पानी बारिश का रिचार्ज हो जाता है लेकिन अगर इसे अगर बीस जून कर दिया जाए तो पानी का स्तर ऊपर आने लगता है। इसीलिए धान की रोपाई को धीरे - धीरे करते हुए 20 जून तक ले जाने की कोशिश हो रही है।

लेबर की कमी और नमी की मात्रा के कारण करते हैैं किसान विरोध

किसान इसका विरोध इसलिए करते हैं, क्योंकि पूरे पंजाब में एक साथ धान की रोपाई होने से उन्हें लेबर नहीं मिलती। जो मिलती है वह अपना रेट बढ़ा देती है। दूसरा, धान की कटाई का समय आने पर मौसम में नमी की मात्रा बढ़ जाती है। इससे उन्हें मंडियों में बेचने में समस्या आती है। दूसरा कटाई लेट हो जाने से गेहूं की बुआई लेट होती है जिसका पैदावार पर असर रहता है।

पराली भी कारण

भाकियू के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है कि धान की कटाई, उसे बेचने और फिर से खेत तैयार करके गेहूं की बुआई के लिए किसानों के पास सीमित समय रहने के कारण किसान पराली को जलाते हैं।

एक हफ्ता पहले करने का यह होगा असर

धान की रोपाई एक हफ्ता कम करके 13 जून करने से भूजल पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। राजेवाल ने बताया कि पिछले साल सरकार ने चुनाव के चलते 13 जून से रोपाई का फैसला कर लिया और इस साल श्रमिकों की कमी की वजह के कारण, लेकिन जब किसान यही मांग करते हैं तो सरकारें ध्यान नहीं देतीं। उन्होंने कहा कि अगर धान की रोपाई की तारीख 20 जून करनी है तो सरकार ऐसी वरायटी दे जो सौ दिन में पक जाए। अन्यथा भूजल गिरने का सारा दोष किसानों पर न मढ़े। इंडस्ट्री हमसे ज्यादा दोहन करती है।


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