जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने अहम फैसला किया है। सरकार ने राज्य में सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता व जवाबदेही लाने के लिए कदम उठाया है। अमरिंदर कैबिनट ने पूर्व अकाली-भाजपा सरकार की ओर से लाए गए सेवा का अधिकार कानून के स्थान पर 'पंजाब ट्रांसपेरेंसी एंड अकाउंटेबिलिटी इन डिलीवरी ऑफ पब्लिक सर्विसेज बिल-2018' को लाने का फैसला किया है। कैबिनेट की बैठक में इसे हरी झंडी दे दी गई।
सेवा का अधिकार का स्थान लेगा ट्रांसपेरेंसी एंड अकाउंटेबिलिटी बिल
वहीं, कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में प्रशासकीय सुधारों पर सब-कमेटी का गठन भी गठन किया। नया कानून पंजाब सेवा के अधिकार (आरटीएस) कानून, 2011 को रद करेगा। इसके साथ नागरिकों को समयबद्ध सेवाओं में पारदर्शिता व जवाबदेही यकीनी बनाई जा सकेगी। मंत्रिमंडल ने पंजाब राज्य प्रशासकीय सुधार और सदाचार आयोग के संविधान को स्वीकृति दे दी है। आयोग को प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में ढांचागत सुधारों के लिए अपनी सिफारिशें देने का काम भी सौंपा है।
सेवाओं के बदले ऑनलाइन रसीद अनिवार्य
प्रशासकीय सुधारों और सार्वजनिक शिकायतों संबंधी विभाग की ओर से तैयार किए गए इस मसौदा बिल में सभी सार्वजनिक सेवाओं का तीन से पांच वर्षों के अंदर पूरी तरह कंप्यूटरीकरण करना और किसी सेवा के लिए विनती के लिए ऑनलाइन रसीद आवश्यक बनाना है।
मोबाइल पर आवेदन का स्टेटस
सार्वजनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन व दंड की व्यवस्था की गई है और इसके अलावा आवेदक मोबाइल या इंटरनेट से अपने आवेदन के स्टेटस का पता कर सकेंगे।
सब कमेटी को अंतिम फैसला लेने का अधिकार
सब-कमेटी को कमिशन की सिफारिशों पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार होगा। यदि कमेटी चाहे, तो व्यापक सलाह और अंतिम निर्णय लेने के लिए कोई भी मामला मंत्रिमंडल के पास पेश कर सकती है। सब-कमेटी का नेतृत्व मुख्यमंत्री करेंगे, जबकि वित्त मंत्री, मंत्री इंचार्ज (प्रशासनिक सुधार विभाग) और संबंधित विभाग के मंत्री इंचार्ज इसके मेंबर होंगे। इसी तरह मुख्य सचिव और कमिशन के चेयरमैन इस कमेटी के क्रमवार मेंबर सचिव और विशेष आमंत्रित होंगे।
By Sunil Kumar Jha