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    दुर्घटना में बेटा खोया, दर्द को साहस में बदला, बेटे की दोनों किडनी डोनेट कर बचाईं दो जान

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 07:26 PM (IST)

    चंडीगढ़ में एक परिवार ने दुख की घड़ी में साहस दिखाते हुए अपने बेटे के अंगों का दान किया। सड़क हादसे में बेटे को खोने के बाद, परिवार ने दो जरूरतमंद मरी ...और पढ़ें

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    अंगदान कर दो युवकों को नई जिंदगी देने वाले युवक को अंतिम विदाई देता पीजीआई का स्टाफ।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सड़क हादसे में घायल अपने बेटे को खोने के गम में डूबे परिवार ने ऐसा फैसला लिया, जिसने न सिर्फ दो जिंदगी बचाईं बल्कि मानवता की मिसाल भी पेश कर दी। पीजीआई में हुए सर्क्युलेटरी डेथ के बाद अंगदान ( डीसीडी ) के तहत युवक की दोनों किडनी का सफल प्रत्यारोपण किया गया, जिससे दो मरीजों को नई जिंदगी मिली।

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    21 नवंबर को गंभीर चोटों के साथ युवक को पीजीआई लाया गया था, लेकिन तमाम चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। राष्ट्रीय डीसीडी प्रोटोकाल के तहत हृदय गति थमने के बाद उसे सर्क्युलेटरी क्राइटेरिया पर मृत घोषित किया गया।

    सबसे कठिन इस घड़ी में जब परिवार बिखर चुका था, तभी उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया जिसने दो और घरों में रोशनी लौटा दी। परिजनों ने सभी अंग दान करने की सहमति दी। परीक्षण में दोनों किडनी ठीक मिली और उनका प्रत्यारोपण पीजीआई में सफलतापूर्वक किया गया।

    परिवार के एक सदस्य ने भावुक होकर कहा कि हम उसे अचानक खो बैठे… लेकिन यह सोचकर हमें हिम्मत मिली कि वह किसी के लिए आखिरी उम्मीद बन सकता है। दो परिवार अगर उस दर्द से बच जाएं जो हम महसूस कर रहे हैं, तो यही उसके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।

    पीजीआई निदेशक प्रो. विवेक लाल ने परिवार के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम दिखाता है कि सबसे बड़े दुख में भी इंसानियत हर बार जीतती है। उन्होंने कहा कि यह डीसीडी डोनेशन केवल दो मरीजों की जान बचाने वाला नहीं, बल्कि भारत में इस मार्ग को मजबूत करने की दिशा में अहम योगदान है।

    पीजीआई मेडिकल सुपरिंटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि यह इस साल का तीसरा और संस्थान का 20वां डीसीडी डोनेशन है। उन्होंने कहा कि पीजीआइ डीसीडी जैसे अंगदान के इस रास्ते को मजबूत बनाने के लिए सतत प्रयासरत है।