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पंजाब में खेती से ज्यादा दिखावे का साधन बन रहा है ट्रैक्टर, करा रहे अजब-गजब तरीेके से मोडिफाई

पंजाब में ट्रैक्‍टर खेती में बड़ा साधन माना जाता है। लेकिन इन सबके बीच ट्रैक्‍टर अब दिखावे का साधन बनता जा रहा है। पंजाब के किसानों में 26 जनवरी को घोषित ट्रैक्‍टर परेड में शामिल होने का रुझान दिख रहा है। इसके लिए ट्रैक्‍टरों को मोडिफाई करवाया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:05 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:05 AM (IST)
पंजाब में खेती से ज्यादा दिखावे का साधन बन रहा है ट्रैक्टर, करा रहे अजब-गजब तरीेके से मोडिफाई
पंजाब में किसान ट्रैक्‍टर परेड में शामिल होने की तैयारी में जुटे हैं। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। खेती का प्रमुख साधन ट्रैक्‍टर पंजाब के किसानों में दिखावे की चीज बन गया है। तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के लिए किसानों में ट्रैक्टर दिल्ली ले जाने का रूझान बढ़ता जा रहा है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के लिए कई किसान हिसाब से ट्रैक्टरों में बदलाव करवा रहे हैं और उसे आकर्षण का केंद्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ट्रैक्टरों को माडिफाई करने वालों के पास पिछले एक महीने से किसानों की भीड़ लगी है। दो बड़े टायरों की जगह चार बड़े टायर लगाना, बड़े बड़े स्पीकर और म्यूजिक सिस्टम लगाना आदि कई इस तरह के बदलाव हैं, जिसके बाद ट्रैक्टर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।

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ट्रैक्टर ही हैं छोटी खेती वाले किसानों के लिए संपन्नता दिखाने का जरिया

ऐसा ही बदलाव किसान मनजीत सिंह भुल्लर ने अपने ट्रैक्टर को भी करवाया है। उन्होंने बताया, किसानों के पास ट्रैक्टर ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है। शहरों के लोग अपने शौक कारों आदि में बड़े बड़े म्यूजिक सिस्टम, चौड़े टायर लगवाकर पूरे कर लेते हैं, हम किसान ट्रैक्टरों पर ऐसे शौक पूरे करते हैं। उन्होंने बताया कि गाने सुनने के लिए म्यूजक सिस्टम तो पहले भी थे लेकिन इतने अच्छे नहीं थे लेकिन अब बहुत अच्छे म्यूजिक सिस्टम मार्केट में हैं और युवा किसान अपने ट्रैक्टरों पर लगवा रहे हैं।

ट्रैक्टर अब मात्र खेती का संसाधन भी नहीं रहा है। बेशक पंजाब में किसानों के पास खेती के लिए कम जमीन है लेकिन ट्रैक्टरों का साइज बढ़ता जा रहा है। किसानों के पास अपनी संपन्नता दिखाने के लिए ट्रैक्टर ही एकमात्र साधन हैं। जमीन किस किसान के पास कितनी है, यह दिखाई नहीं पड़ती लेकिन सामने चला आ रहा 65 हार्स पावर का ट्रैक्टर जिस पर केबिन लगा हो और अंदर एसी चल रहा हो, वह किसान की संपन्नता की तस्वीर खुद ही बयां कर देता है।

ट्रैक्टर, अब ताकत का प्रतीक भी बन गए हैं। किसान आंदोलन के लिए दिल्ली जा रहे किसानों को रोकने के लिए जब अंबाला व खनौरी आदि में पुलिस ने बैरिकेड लगाए तो किसानों ने ट्रैक्टरों के मदद से ही बड़े बड़े पत्थरों को हटाया। सोनीपत के पास हरियाणा सरकार की ओर से सड़क खोदकर बनाया गया खड्डा भी किसानों ने ट्रैक्टरों के जरिए भरकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया।

अब किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के लिए जा रहे हैं तो मुख्य निशाना अपनी ताकत का प्रदर्शन करना ही है। पुलिस और अन्य अर्ध सैनिक बल उन्हें रोकने की कोशिश न करें इसके लिए ट्रैक्टरों को विशेष रूप से तैयार करवाया जा रहा है। यही नहीं, उनके पीछे लगाई गई ट्रालियों को भी इसी नजरिए से तैयार किया जा रहा है। सुविधा के लिए ट्रालियों में ही पाखाने, नहाने के स्नानघर आदि बना लिए हैं। यानी इतनी कीमत तो ट्रैक्टर की नहीं है जितना उस पर दिखाने के लिए सामान लगा लिया गया है।


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