जांच कमेटी ने एस्टेट ऑफिस के आठ कर्मियों पर एफआइआर दर्ज करने के दिए आदेश
प्रशासन के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने प्रॉपर्टी से जुड़े एक मामले में लापरवाही बरतने पर एस्टेट ऑफिस के आठ कर्मचारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश जारी किया हैं।
जासं, चंडीगढ़ : प्रशासन के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने प्रॉपर्टी से जुड़े एक मामले में लापरवाही बरतने पर एस्टेट ऑफिस के आठ कर्मचारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश जारी किया हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से बेनामी संपत्तियों को हड़प करने के इस खेल का जब पर्दाफाश हुआ, तो विजिलेंस को इसकी शिकायत दी गई थी।
मामले के अनुसार बिल्डिंग बायलाज का उल्लंघन कर दो अलग-अलग प्लाट को एक कर जोड़ा गया, जोकि एस्टेट ऑफिस के नियमों के खिलाफ है। नियमों के मुताबिक दो इंडस्ट्रियल प्लाट को एक ही सूरत पर जोड़ा जा सकता है, जब दोनों प्लॉट का मालिक एक ही मालिका हो। लेकिन इस केस में दोनों प्रापर्टी के मालिक अलग-अलग थे। एस्टेट ऑफिस के कर्मचारियों की मिलीभगत से शहर के एक नामचीन ऑटोमोबाइल कंपनी ने दो प्लॉटों का एक अमलगामेट (जोड़) लिया। इसमें पूर्व डीसी मोहम्मद शाइन ने विजिलेंस को जांच के लिए कहा था। यूटी प्रशासन के होम सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्देश दिए गए हैं।
शिकायत मिलने के बाद पूरे मामले की जांच के लिए विजिलेंस कमेटी बनी थी। कमेटी की जांच में 20 कर्मचारियों को शामिल किया था। इनमें आर्किटेक्ट विभाग और एस्टेट ऑफिस के कर्मचारी शामिल थे। पूरा मामला दो प्लाटों के जोड़े जाने का था, जिनके मालिक अलग-अलग थे। प्लाटों की कीमत के मुताबिक रजिस्ट्री में घपला किया गया था। विजिलेंस जांच में पाया गया कि प्लाटों के कागजों में एस्टेट ऑफिस के अफसरों और कर्मचारियों ने मिलकर घपला किया था।
एस्टेट ऑफिस से फाइल गुम होने के मामले में भी दर्ज हुआ था केस
एक अन्य मामले में पूर्व चीफ विजिलेंस अफसर के आदेश पर डीसी के पूर्व पीए राकेश मोहन समेत एस्टेट ऑफिस के दो अन्य कर्मियों पर फाइल गायब होने के मामले में सेक्टर-17 थाने में केस दर्ज हुआ था। यह केस कोर्ट में विचाराधीन है। सेक्टर-33बी के प्लॉट नं.-560 से संबंधित प्रॉपर्टी की फाइल गायब होने के मामले में करीब 16 साल बाद मामला दर्ज किया गया था। यह कोठी मंजीत कौर नामक महिला के नाम आवंटित थी। हालांकि इसकी किस्तें जमा न होने पर एस्टेट ऑफिस की ओर से आवंटन रद करने का निर्देश जारी हुआ था। 2008 में नए सिरे से आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। तब पता चला कि प्रापर्टी की फाइल एस्टेट ऑफिस से ही गुम कर दी गई है।