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Video Game की तर्ज पर काम करेगा यह रोबोट, मरीज तक पहुंचाएगा दवाइयां व ऑक्सीजन सिलेंडर

यह रोबोट सेवक ग्राउंड से लेकर 10वें फ्लोर तक दवाई व अन्य सामान पहुंचाने में सक्षम है। इसके अलावा यह रोबोट सेवक सफाई कर्मचारी का भी काम करेगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 05:41 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 08:35 PM (IST)
Video Game की तर्ज पर काम करेगा यह रोबोट, मरीज तक पहुंचाएगा दवाइयां व ऑक्सीजन सिलेंडर
Video Game की तर्ज पर काम करेगा यह रोबोट, मरीज तक पहुंचाएगा दवाइयां व ऑक्सीजन सिलेंडर

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इस समय हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इस वायर से बचने के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ शारीरिक दूरी को भी काफी अहम माना गया है। अधिकतर मामले शारीरिक दूरी न बनाए रखने के कारण ही सामने आ रहे हैं। इस बीच पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज सेक्टर-12 एक ऐसी खोज की गई है, जोकि कोरोना मरीजों से दूरी बनाए रखने के साथ-साथ उनका ख्याल रखने में कारगर साबित हो सकती है।

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कॉलेज के सेंटर आॅफ एक्सीलेंस विभाग की तरफ से रोबोट सेवक का निर्माण किया गया है किसी मरीज के पास कोई दवा पहुंचानी है या फिर उस तक ऑक्सीजन सिलेंडर, तो आपको मेडिकल टीम की जरूरत नहीं। अब यह काम वीडियो गेम की तर्ज पर रोबोट सेवक के जरिए किया जा सकेगा। यह रोबोट सेवक ग्राउंड से लेकर 10वें फ्लोर तक दवाई व अन्य सामान पहुंचाने में सक्षम है, हालांकि इसके लिए रोबोट वाई-फाई का कनेक्शन जरूरी होगा।

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज सेक्टर-12 के सेंटर आफ एक्सीलेंस विभाग की तरफ से बनाया गया यह रोबोट सेवक 25 किलो तक का सामान एक से दूसरी जगह तक ले जा सकता है। उसमें वह ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर खाने का सामान या फिर कपड़ों को भी लोड किया जा सकता है। 

फ्लोर को करेगा सैनेटाइज

मरीज से संबंधी सामान ले जाने के अलावा यह रोबोट सेवक सफाई कर्मचारी का भी काम करेगा। रोबोट सेवक के सबसे निचले भाग में सेनेटाइजिंग के लिए व्यवस्था की गई है। जिसमें दो से तीन किलो सैनेटाइजर एक समय में डाला जा सकता है। उसके बाद वह मोबाइल पर डाउनलोड लिंक के जरिए फ्लोर को सैनेटाइज करेगा। सैनेटाइज करने के लिए आपको किसी सुरक्षा की जरूरत नहीं है।

मेंटर के सहयोग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने किया तैयार

रोबोट सेवक मेंटर एमएस प्रो. राजेश्वरन ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट विभु भनोट और विवेक के सहयोग से तैयार किया है। इसे बनाने में तीन महीने का समय लगा है। जिसे मार्केट में लेकर जाने की तैयारी चल रही है। मार्केट में डीलर मिलने के बाद इसे एक महीने में तैयार करके हर अस्पताल में लगाया जा सकता है।

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