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ये आइडिया ऑर्गेनिक है..

गुड़ की टॉफी, सुनने में अजीब लगता है, मगर देखने में उतना ही सुकून देता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 07:46 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 07:46 PM (IST)
ये आइडिया ऑर्गेनिक है..
ये आइडिया ऑर्गेनिक है..

शंकर ¨सह, चंडीगढ़ : गुड़ की टॉफी, सुनने में अजीब लगता है, मगर देखने में उतना ही सुकून देता है। आम टॉफी, जिसमें मिठास के नाम पर शुगर को डाला जाता है। मगर इस टॉफी में गुड़ का स्वाद ही सब कुछ है। साथ ही इसमें अदरक, हल्दी और विभिन्न मसालों का स्वाद भी मिलाया जाता है। ऐसे बनती है ऑर्गेनिक गुड़ से बनी टॉफी। इसे एक प्रोडक्ट के रूप में बाजार में लाए हैं भूपेश सैनी, जो चंडीगढ़ से ही हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी के कम्यूनिटी सेंटर में चल रहे मिलेट्स उत्सव में भूपेश ने इन टॉफी को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि वह वर्षों तक कई कंपनी के साथ ब्रां¨डग से जुड़े रहे। मगर फूड ब्रांड अकसर खाने की चीजों में कई तरह के केमिकल और ऐसे प्रोडक्ट्स मिलाते हैं, जो हेल्दी नहीं होते। ऐसे में मैंने इन स्वीट्स को बनाने की सोची। इसके लिए अपने आसपास के दो किसानों से बात की और उनके गन्ने की फसल से बने गुड़ को अपने पास मंगवाया। फिर इसमें विभिन्न मसाले पाउडर डालकर इसमें एक अलग स्वाद को बनाया। जिसके बाद इस फेस्टिवल में इसे लॉन्च किया। बाजार से बनाए बिस्कुट

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हरियाणा के राजपाल ¨सह और मनवीर ¨सह एक अलग अंदाज के बिस्कुट लेकर फेस्ट में पहुंचे हैं। हिसार के राजपाल और जींद के मनवीर ने कहा कि ऑर्गेनिक खेती करना अपने में एक चैलेंज है। इसमें भी आप बाजरे के आटे के फायदे बताओ, तो लोग ज्यादा नहीं खरीदते। ऐसे में हम इसे मिठाई और बिस्कुट के रूप में बेच रहे हैं। ये बिस्कुट हमने अभी लॉन्च किए। इसे खुद घर में ही तैयार किया है। इसमें गाय का दूध, घी और गुड़ का इस्तेमाल किया है। हम चाहते हैं कि इस तरह ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को नए तरीके से लोगों तक पहुंचाया जाए। राजस्थान से सीखा तंदूर में चाय बनाना

मोहाली के आत्मजीत ¨सह एक विशेष तरह की चाय बनाते हैं। ये तंदूर में बनती है। आत्मजीत ने कहा कि उन्होंने इस चाय को खासकर राजस्थान के उदयपुर में बनाना सीखा। बोले कि मेरे दोनों बेटे विदेश में बस गए हैं। मगर मेरा मन पंजाब और खेतों में ही लगता है। ऐसे में कभी इससे मोह नहीं छूटा। मैंने इस चाय के बारे में सुना था, सोचा कि इसे शहर में भी लाऊं। इसके लिए खास रूप से उदयपुर में गया और वहां इसे बनाना सीखा। इसमें तंदूर और पीतल के बर्तन ही इस्तेमाल में लाए जाते हैं। साथ ही मिट्टी के कुल्हड़ में ही इसे पिया जाता है। इसमें चाय तो पकाई जाती है, मगर उबाल इस गर्म कुल्हड़ में ही लाया जाता है। दरअसल, इन कुल्हड़ को भी तंदूर में ही गर्म किया जाता है। इसके अलावा इस चाय में चीनी नहीं बल्कि गुड़, इलाइची और सौंफ मिलाई जाती है, सब कुछ ऑर्गेनिक ही होता है।


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