ये खास एक्सप्लोसिव डिटेक्टर पकड़ेगा हर विस्फोटक, इन होनहारों ने बनाया उपकरण
इमटेक के स्टूडेंट्स ने छह साल की कड़ी मेहनत के बाद ऐसा एक्सप्लोसिव डिटेक्टर बनाया है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद कारगर है।
चंडीगढ़ [डॉ. रविंद्र मलिक]। अब हर तरह की विस्फोटक सामग्री का पता एक ही उपकरण से लग जाएगा। इसके लिए अलग-अलग मशीनों की जरूरत नहीं होगी। इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (इमटेक) सेक्टर-39 के स्टूडेंट्स ने छह साल की कड़ी मेहनत के बाद ऐसा एक्सप्लोसिव डिटेक्टर बनाया है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद कारगर है।
एक्सप्लोसिव को कैसे भी छिपाया गया हो, इस उपकरण से बचा नहीं जा सकेगा। जिस चीज में एक्सप्लोसिव छुपाया गया होगा, उसके ऊपर घुमाने से ही पता लग जाएगा। इमटेक की पीएचडी स्कॉलर शिल्पा, हेमंत, शशि और अनुराग कश्यप ने डॉ. सीआर सूरी व डॉ. प्रवीण के अंडर रिसर्च के बाद यह कामयाबी हासिल की है।
लिक्विड का रंग बदलते ही होगी पुष्टि
अगर कोई सामान लेकर जा रहा है या सिक्योरिटी को किसी पर संदेह है तो उसके सामान के ऊपर से गीला कपड़ा घुमाना है। फिर गीले कपड़े से निकले पानी को उपकरण में बने तीन छिद्र में डाला जाएगा। इसके बाद कुछ देर अंदर रखा जाएगा। अगर लिक्विड का रंग बदलता है, तो अंदर एक्सप्लोसिव की पुष्टि होगी।
एनएसजी के सामने हुई पे्रजेंटेशन और 95 फीसद विश्वसनीय रिजल्ट
नेशनल सिक्योरिटी गाड्र्स (एनएसजी) के सामने उपकरण की प्रेजेंटेशन हो चुकी है। उपकरण की विश्वसनीयता 95 फीसद तक है। दो बार इसकी टेस्टिंग हो चुकी है और परीक्षा में खरा उतरा है। इसको और विश्वसनीय बनाने के लेकर भी काम जारी है। विज्ञान भवन दिल्ली में भी इसकी प्रेजेंटेशन दी जा चुकी है।
तीन तरह का होता है एक्सप्लोसिव और पीपीएम से चलेगा पता
तीन तरह का बारूद होता है। इनमें आरडीएक्स, पीईटीएन और टीएनटी शामिल है। इनमें सबसे खतरनाक आरडीएक्स होता है। अगर पेकिंग में विस्फोटक सामग्री है, तो महज पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) मात्रा की चेकिंग से ही पता चल जाएगा। इसकी डिटेक्शन पावर को पार्ट पर बिलियन और ट्रिलियन तक डेवलप किए जाने पर काम हो रहा है।
बॉर्डर और एयरपोर्ट पर बेहद कारगर
यह एक्सप्लोसिव डिटेक्टर बॉर्डर एरिया और एयरपोर्ट सबसे ज्यादा कारगर रहेगा। एयरपोर्ट के हर गेट पर इसको लगाया जा सकता है और एक ही जगह इसके इनपुट मिल सकेंगे। उपकरण को बनाने में स्टूडेंट्स और फैकल्टी को रिसर्च करते हुए छह साल लगे हैं। इसकी रिसर्च पर करीब 3 करोड़ का बजट भी खर्च हुआ है।
वायरलेस और पोर्टेबल, इंटरनेट से चलेगा
उपकरण यूज के लिहाज से बेहद सहूलियत भरा है। यह पूरी तरह से वायरलेस और पोर्टेबल है। जरूरत के हिसाब से कहीं भी आसानी से लाया और ले जाया जा सकता है। यह पूरी तरह से इंटरनेट से संचालित होगा।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें