रक्तदान करने के लिए जुनूनी हैं ये बाप-बेटा
सच कहते हैं कि अगर बच्चे संस्कारी चाहिए तो हमें संस्कारी बनना होगा।
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : सच कहते हैं कि अगर बच्चे संस्कारी चाहिए तो हमें संस्कारी बनना होगा। अंबाला जिले के गांव कुराली में रहने वाले देविद्र अब तक 48 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। देविद्र बताते हैं कि उनके पिता मामचंद राणा उनकी प्रेरणास्त्रोत रहे हैं, वे खुद 52 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं और उन्हीं की प्रेरणा से मैंने रक्तदान करना शुरू किया था। अब मैं नियमित रूप से पीजीआइ डॉक्टर्स के साथ संपर्क में रहता हूं और जहां कहीं भी ब्लड डोनेशन कैंप होता है, वहां अपनी भागीदारी जरूर सुनिश्चित करता हूं। 40 से ज्यादा रक्तदान शिविरों का कर चुके आयोजन
देविद्र राणा ने बताया कि वे खुद ही रक्तदान नहीं करते, बल्कि वह औरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने अपने पिता के सहयोग से अब तक 40 से ज्यादा बार रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है। इमरजेंसी के दौरान किसी को ब्लड की दिक्कत न हो, इसके लिए उन्होंने बाकायदा अपना नंबर तमाम अस्पताल व प्रशासनिक अधिकारियों को दिया हुआ है। हमारे तमाम ब्लड ग्रुप के डोनर्स हैं जो खुशी-खुशी हर जरूरतमंद को ब्लड डोनेट करने पहुंच जाते हैं। 1500 ब्लड डोनर्स का डाटा है देविद्र के पास
देविद्र ने बताया कि उनके पास 1500 के करीब युवा ब्लड डोनर्स का डाटा उपलब्ध है। इसके लिए बाकायदा उन्होंने रजिस्टर लगाया है। ऐसे में हर तीन महीने बाद वे डोनर्स को फोन करके उन्हें दोबारा रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं। जब भी कहीं रक्तदान शिविर होता है तो वे वॉलंटियर्स को लेकर रक्तदाताओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करने में लग जाते हैं, यही उनके जीवन का ध्येय है।