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बॉर्डर पर रह रहे बच्चों की शिक्षा में न आए कोई बाधा, स्टेशनरी व जरूरत का सामान पहुंचा रहे जय

जय ने वर्ष 2013 में जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख स्टडी सेंटर नाम से एनजीओ बनाई थी। इसके तहत वे अपनी टीम के साथ इन इलाकों में जाकर बच्चों की मदद करते है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 03:33 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 03:33 PM (IST)
बॉर्डर पर रह रहे बच्चों की शिक्षा में न आए कोई बाधा, स्टेशनरी व जरूरत का सामान पहुंचा रहे जय
बॉर्डर पर रह रहे बच्चों की शिक्षा में न आए कोई बाधा, स्टेशनरी व जरूरत का सामान पहुंचा रहे जय

चंडीगढ़, वैभव शर्मा। इंसान में अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो वह असंभव कार्य को संभव कर देता है। ऐसा ही कुछ शहर का जय कर रहा है। जय पेशे से शिक्षक है और वह लद्दाख, जम्मू और कश्मीर के उन इलाकों में बच्चों की मदद कर रहे है, जहां पहुंचना साधारण व्यक्ति की सोच से बाहर है। इन तीनों राज्यों में कई गांव ऐसे है जो बिल्कुल बॉर्डर से सटे हुए है और यहां कब गोलाबारी शुरू हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। जय अपनी टीम के सथ इन इलाकों में जाकर बच्चों को स्टेशनरी देते है।

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इस काम के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट विवेक चौहान भी जय के साथ जुड़े हुए है। उनके अलावा चंडीगढ़ से ही 22 लोग इस मुहिम के साथ जुड़े हैं। बच्चों की मदद इसलिए की जा रही है ताकि उन्हें अपनेपन का एहसास कराया जाए कि वह इन इलाकों में अकेले नहीं हैं, पूरा देश उनके साथ खड़ा है। बच्चों की मदद करने के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख स्टडी सेंटर नाम से एनजीओ बनाई थी।

केजे सिंह की मदद से होती है आसानी

जय ने बताया कि जब पीवीएसएम-एवीएसएम व बार लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह को हमारे उद्देश्य के बारे में पता लगा तो वह भी जुड़ गए और मदद करने लगे। बॉर्डर एरिया में जाने के लिए केजे सिंह द्वारा संबंधित एरिया के कंपनी कमांडर को पत्र लिखकर परमिशन मांगी जाती है। उसके बाद उस कंपनी के जवान टीम के साथ इलाके में जाते है।

एक साल में पांच विजिट

जय और उनकी टीम इन तीनों राज्यों के विभिन्न इलाकों में एक साल में पांच बार दौरा करते है। जाने से पहले वह संबंधित एरिया के प्रतिनिधिमंडल को फोन कर आने की सूचना दे देते है। उनका ज्यादा फोकस स्कूलों पर रहता है ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आएं।

बच्चों की हंसी, बनती है टीम की खुशी

टीम के सभी सदस्यों ने बताया कि उन्हें यह कार्य करने में बहुत खुशी मिलती है। वह किसी से चंदे के रूप में पैसे नहीं लेते है बल्कि किताबें, स्टेशनरी का सामान, लंच बाॅक्स आदि दान देने के लिए बोलते है। लॉकडाउन में भी एनजीओं के सदस्यों ने पूरी कानूनी प्रक्रिया की पालना करते हुए इन इलाकों में सैनिटाइजर, मास्क जैसी जरूरत की चीजों को पहुंचाया था।


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