लेफ्टिनेंट आकाशदीप की कड़ी मेहनत लाई रंग, बोले- सैनिक बनने से बड़ा कोई सम्मान नहीं
आकशदीप का बचपन से ही सेना में जाने की इच्छा थी। परिवार ने छठी में कपूरथाल सैनिक स्कूल का टेस्ट दिलवाया और बेटे का चयन हो गया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
चंडीगढ़ [डाॅ. सुमित सिंह श्योराण]। किसी युवा को अगर सरहद पर देश की सेवा करने का मौका मिले तो उससे बड़ा कोई सम्मान नहीं हो सकता। मैंने बचपन से ही इंडियन आर्मी में जाने का सपना देखा था। करीब 11 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह दिन आया है। आज मैं बहुत खुश हूं, लेकिन अफसोस है कि इस खुशी की घड़ी में मेरे पेरेंट्स पासिंग आउट परेड का हिस्सा नहीं बन सके। यह कहना है देहरादून स्थित आइएमए में पासिंग आउट परेड में बेस्ट कैडट और प्रतिष्ठित स्वाॅड आॅफ आॅनर से नवाजे गए युवा लेफ्टिनेंट आकाशदीप सिंह ढिल्लों का।
ले. ढिल्लों ने बताया कि पंजाब के तरनतारन के कैरों गांव से आर्मी में लेफ्टिनेंट बनने का सफर बहुत ही रोमांचक रहा है। आकाशदीप की परफारमेंस से उनका पूरा परिवार बहुत खुश है। मां बीरइंद्र कौर ढिल्लों ने कहा कि बेटे की उपलब्धि से न सिर्फ उनका पूरे गांव और पंजाब का नाम रोशन हुआ है।
कपूरथला सैनिक स्कूल से पड़ी नींव
आकाशदीप ढिल्लों का बचनप से ही सेना में जाने का झुकाव था। परिवार ने छठी क्लास में कपूरथला स्थित सैनिक स्कूल का टेस्ट दिलवाया और बेटे का चयन हो गया। उसके बाद तो आकाशदीप ने सेना में आॅफिसर बनने के लिए पूरी जी-जान लगा दी। शुरू से ही पढ़ाई में टाॅपर रहे आकाशदीप ने 12वीं में 85 फीसद अंक हासिल किए और पहले ही प्रयास में एनडीए क्लीयर कर लिया। तीन साल एनडीए और फिर एक साल आइएमए में ट्रेनिंग कर फौज में लेफ्टिनेंट जैसे प्रतिष्ठित पद को हासिल किया।
लेफ्टिनेंट आकाशदीप सिंह अपनी मां बीरइंद्र कौर ढिल्लों के साथ।
पंजाब के किसान का बेटा बना लेफ्टिनेंट
आकाशदीप काफी साधारण परिवार से हैं। पिता सरदार गुरप्रीत सिंह ढिल्लो पेशे से किसान और मां बीरइंदर कौर पंजाब के तरनतारन के बलटोहा स्थित कन्या सरकारी स्कूल में टीचर हैं। भाई प्रीत ढिल्लों माॅडलिंग और गाने का शौक रखते हैं। चंडीगढ़ और मुंबई जैसे शहरों में प्रीत इवेंट में हिस्सा लेते हैं। आकाशदीप ने बताया कि उन्हें खेलना, किताबें पढ़ना और संगीत सुनना अच्छा लगता है। स्कूल लेवल पर नेशनल स्तर के वालीबाॅल खिलाड़ी रह चुके हैं।
स्वाॅर्ड आॅफ आॅनर के साथ लेफ्टिनेंट आकाशदीप सिंह।
आकाशदीप ढिल्लो को प्रतिष्ठित स्वाॅर्ड आॅफ आॅनर
लेफ्टिनेंट स्तर की पासिंग आउट परेड में किसी कैडेट को स्वाॅर्ड आॅफ आॅनर उसके करियर की बहुत बड़ी अचीवमेंट मानी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान फिजिकल टेस्ट, हथियारों की ट्रैनिंग, लीडरशिप क्वालिटी में शानदार प्रर्दशन के अलावा क्रास कंट्री रन, बाॅक्सिंग और डिबेट जैसे कंपीटीशन में टाॅप करना पड़ता है। पूरे करियर में किसी भी कैडेट के लिए अवार्ड बहुत मायने रखता है। आकाशदीप ने बताया कि उन्हें पैराशूट रेजीमेंट दी गई है। अगले डेढ़ महीने जोधपुर में रहेंगे और फिर उन्हें पोस्टिंग मिलेगी।
पिता सरदार गुरप्रीत सिंह व मां बीरइंद्र कौर के साथ लेफ्टिनेंट आकाशदीप सिंह।
यह मेरे लिए बहुत ही खास दिन है। मेरी 11 सालों की मेहनत आज रंग लाई है। हमेशा से ही देश के लिए आर्मी की वर्दी पहनने का सपना था। यह अचीवमेंट में देश को समर्पित करता हूं। लेकिन आज पेरेंट्स के पासिंग आउट परेड का हिस्सा न बनने से थोड़ा मायूस भी हुआ।
लेफ्टिनेंट आकाशदीप सिंह ढिल्लों, पंजाब के तरनतारन निवासी।