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डेंगू के मरीजों से भरे अस्पताल, काउंसिल की मीटिंग में प्रस्ताव तक नहीं

हलके के विकास कार्यो को लेकर नगर काउंसिल जीरकपुर की मीटिंग में प्रधान उदयवीर ढिल्लों की अगुवाई में 19 प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 07:56 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 07:56 AM (IST)
डेंगू के मरीजों से भरे अस्पताल, काउंसिल की मीटिंग में प्रस्ताव तक नहीं
डेंगू के मरीजों से भरे अस्पताल, काउंसिल की मीटिंग में प्रस्ताव तक नहीं

जासं जीरकपुर : हलके के विकास कार्यो को लेकर नगर काउंसिल जीरकपुर की मीटिंग में प्रधान उदयवीर ढिल्लों की अगुवाई में 19 प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इस मुद्दे वीरवार को डेराबस्सी विधायक एनके शर्मा ने प्रेस काफ्रेंस की और प्रस्तावों पर असहमति जाहिर की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जीरकपुर शहर को ग्रहण लग हुआ है जो दो महीने बाद हटेगा। वह इस बात के जरिये यह कहना चाह रहे थे कि जब से नगर काउंसिल कांग्रेस के हाथ में आई है, तब से शहर का विकास कार्य थम गया है। उन्होंने कहा कि नवंबर में चुनाव आचार संहिता लगने वाली है। उसके बाद नगर काउंसिल जीरकपुर के प्रधान उदयवीर ढिल्लों के खिलाफ विजिलेंस जांच कराई जाएगी।

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वीरवार को हुई बैठक में जो 19 प्रस्ताव पास हुए हैं, उनमें डेंगू जैसी बीमारी से निपटने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया। उन्होंने इस पर हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि आज अस्पताल डेंगू के मरीजों से भरे पड़े हैं और ऐसी गंभीर स्थिति में भी कमेटी प्रधान उदयवीर ने इसकी रोकथाम के उपायों का जिक्र तक नहीं किया। शर्मा ने कहा कि जीरकपुर में फॉगिग करवाने के नाम पर नाटक हो रहा है। वह खुद अपनी चार पर्सनल फॉगिग मशीनें लाकर गांवों में फॉगिग करवा रहे हैं। उनका कहना था कि कांग्रेस पार्षद ऐसी भयानक स्थिति में भी अपने जेबें भरने में लगे हैं। 15 साल कमेटी उनके कंट्रोल में थी हाउस मीटिग हर महीने होती थी, लेकिन सत्ता के नशे में चूर कांग्रेसी साढ़े तीन महीने बाद हाउस मीटिग रख रहे हैं। अगर उनसे सवाल करो तो भाग खड़े होते हैं। प्रस्ताव में जिस तीन एकड़ जमीन पर गोशाला बनाने के लिए कहा गया है, वह शामलात जमीन पर कब्जा करने के लिए प्रस्ताव पास किया गया है। टावरों के नाम पर सीधी लूट की जा रही है। उन्होंने शहर में 180 टावर लगाए थे, जिनका करोड़ों रुपये कमेटी को आता था। शर्मा का आरोप है कि उन टावरों की फीस घटाकर 10 हजार रुपये कर दी और 90 हजार रुपये सीधा अपनी जेब में डाल रहे हैं। जीकरपुर के सुधार के लिए कुछ नहीं किया जा रहा।


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