पत्थरों पर लिखी है कला की कहानी
पत्थरों पर चलते औजार। उड़ती धूल।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पत्थरों पर चलते औजार। उड़ती धूल। हथोड़ी से तराशते हाथ। पूरी कहानी बयान हो रही थी स्कल्प्चर की। सेक्टर-10 स्थित लेजर वैली में पिछले दस दिनों से कला का जश्न मनाया जा रहा था। सोमवार को इसका आखिरी दिन रहा, तो इसमें भी कलाकारों ने जान फूंक दी। ये जान पत्थरों पर आ गई, जिससे कला की खूबसूरत कहानी बयान हो रही थी। चंडीगढ़ ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित स्कल्प्चर कैंप के समापन में चंडीगढ़ के एडवाइजर मनोज कुमार परिदा, होम सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता भी शामिल हुए। शहर में सजेंगे ये स्कल्प्चर
शहर में कला को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए इस कैंप का आयोजन किया गया। अकादमी के अध्यक्ष भीम मल्होत्रा ने कहा कि हमें खुशी है कि कलाकारों की ये कला शहर के विभिन्न गार्डन और जगहों पर स्थापित की जाएगी। इससे लोगों को स्कल्प्चर जैसी कला से जुड़ने का मौका मिलेगा। हमारी ये कोशिश रही है कि लोगों और कला के बीच की दूरी कम की जाए। जिसमें ये कदम सहायक साबित होगा। पुलवामा के शहीदों के नाम
हरपाल शेखुपूरिया ने कैंप में सारनाथ के धामेक स्तूप के तर्ज पर स्कल्प्चर बनाया। जिसे उन्होंने पुलवामा में शहीद सैनिकों के नाम किया। उन्होंने कहा कि कैंप के दौरान मैं भारत की एकता के प्रतीक को दिखाना चाहता था। जिसमें एक स्तंभ, जिसमें पूरे देश के राज्य को बनाया। हम अलग-अलग होते हुए भी एक हैं। ये भारत की खूबसूरती है, स्तंभ के ऊपर एक चट्टान का हिस्सा बनाया। जिसमें भारत को अलग अलग भाषाओं में लिखा है। जो हमारी एकता का प्रतीक है। ली कार्बूजिए अगर शहर को दोबारा देखें
हृदय कौशल का स्कल्प्चर शहर को बयां करता है। उन्होंने कछुए पर शहर की आकृति को बनाया है। ये कछुआ पीछे मुड़कर देख रहा है। हृदय बोले कि कछुआ पीछे मुड़कर नहीं देखता। मगर मैंने ऐसे दिखाया है। ये कछुआ ली कार्बूजिए का प्रतीक है। जो अपने डिजाइन शहर को दोबारा देख रहे हैं। मैं अंकुरित बीजों पर काम करता हूं, तो इसमें मैंने शहर के लिए ज्योमेट्री डिजाइन में स्कल्प्चर को बनाया है। कछुए और शहर के डिजाइन को जोड़ने के लिए इसमें एक रोड का भी इस्तेमाल किया गया है। कुदरत विरुद्ध मानवीय हस्तक्षेप की कहानी..
केरला के वलसन कूरम कोल्लेरी का स्कल्प्चर सबसे अलग है। उन्होंने स्कल्प्चर को अलग टेक्सचर देने के लिए इसमें पाउडर द्वारा नए रंग को तराशा है। गुफाओं में होने वाली पें¨टग को उन्होंने पत्थर पर तराशा है। वलसन ने कहा कि उनके कार्य की कोई शेप नहीं होती। बस कुदरत में मानवीय हस्तक्षेप को मैं अपने अंदाज में दिखाना चाहता था। इसमें कुदरत जब अपने अंदाज में बदला लेती है को भी वेव्स के जरिये दिखाया गया है। धर्म और जाति से ऊपर है कला
विशाल भटनागर का स्कल्प्चर धर्म और जाति से ऊपर की बात करता है। चांद नुमा ये स्कल्प्चपर भगवान शिव को भी संबोधित करता है। विशाल ने कहा कि इसे मैंने वाट्सएप से प्रेरित होकर बनाया। वाट्सएप पर ऐसे संदेश आते हैं, जो जात-पात और धर्म की बात करते हैं। ऐसे में मैंने धर्म की खूबसूरती और इसके निराकार होने को दिखाया है। इसे कोस्मिक साउंड का नाम दिया है।