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मेल नहीं खाए पीड़िता के बयान, पोक्सो एक्ट में पांच लोग बरी

पोक्सो एक्ट में पकड़े गए पांच लोगों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वीरवार को आरोपमुक्त किर दिया। इन पांचों पर पोक्सो एक्ट की धारा 8 आइपीसी की धारा 323 354 506 34 147 149 और 120बी के तहत केस चल रहा था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 07:36 PM (IST)
मेल नहीं खाए पीड़िता के बयान, पोक्सो एक्ट में पांच लोग बरी
मेल नहीं खाए पीड़िता के बयान, पोक्सो एक्ट में पांच लोग बरी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पोक्सो एक्ट में पकड़े गए पांच लोगों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वीरवार को आरोपमुक्त किर दिया। इन पांचों पर पोक्सो एक्ट की धारा 8, आइपीसी की धारा 323, 354, 506, 34, 147, 149 और 120बी के तहत केस चल रहा था। बचाव पक्ष की ओर से एडवोकेट अमरजीत सिंह गुजराल ने दलील दी कि पीड़िता ने जो बयान पुलिस के सामने दिए और जो बयान अदालत में दे रही है, उसमें काफी फर्क है। गुजराल ने बताया कि पीड़िता की बहन ने जो आरोप लगाए है, वह अदालत में झूठे साबित हुए हैं। पीड़िता की बहन ने आरोप लगाए थे कि अंकुश ने 150 लोगों के साथ उसके घर पर हमला किया था और उसकी बहन का अपहरण करने की कोशिश की। अदालत में पीड़ित पक्ष की ओर से यह साबित नहीं किया जा सका कि जो पीड़िता की बहन बोल रही है वह सच है। यही नहीं अंकुश पर यह भी आरोप लगा था कि उसने पीड़िता की नाबालिग बहन के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की।

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एक के बाद एक तीन शिकायतें करवाई थी दर्ज

पीड़िता की बहन ने अंकुश के अलावा उसकी मां संगीता, अब्दुल, सोनू और रोहित के खिलाफ पहली एफआइआर तीन जून 2017 को दर्ज करवाई थी। उसमें उसने कहा था कि उसकी छोटी बहन का दसवीं का रिजल्ट आया था, उस समय अंकुश ने उनके घर पर पथराव किया। उसके बाद 12 जून को फिर से पुलिस में शिकायत दी गई कि अंकुश ने उनके घर में घुस पर चाकू से हमला किया। फिर 18 जून को एक शिकायत दी और उसमें बताया कि वह अपने भाई की बलौंगी स्थित दुकान पर थी, जहां अंकुश ने उसके भाई के उपर हमला किया और उसका अपहरण करने की कोशिश की। हालांकि पुलिस जांच में बाकी दो शिकायत झूठी पाई गई थी।

पीड़िता के भाई और पिता के खिलाफ भी हुई थी एफआइआर

एडवोकेट गुजराल ने कहा कि जब पीड़िता की बहन ने अंकुश पर एफआइआर दर्ज की थी, उसके अगले दिन ही उसके पिता और भाई के खिलाफ भी एक लड़ाई-झगड़े की शिकायत दर्ज हुई थी। इस शिकायत से बचने के लिए पीड़िता की बहन ने यह पूरी कहानी बनाई थी। एडवोकेट गुजराल ने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने 10 जुलाई को इस में पीड़िता की लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया था क्योंकि दस्तावेज को देखकर साफ पता लग रहा कि उनके आरोप झूठे है।


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