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प्रदर्शन न सुधरने पर स्मार्ट सिटी ने केंद्र सरकार से प्लान रिवाइज करने को कहा

स्मार्ट सिटी के तहत अब नहीं बनेगा कामर्शियल हब 6500 की जगह 2300 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट बनाने के लिए तैयार चंडीगढ़।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 04:59 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 04:59 PM (IST)
प्रदर्शन न सुधरने पर स्मार्ट सिटी ने केंद्र सरकार से प्लान रिवाइज करने को कहा
प्रदर्शन न सुधरने पर स्मार्ट सिटी ने केंद्र सरकार से प्लान रिवाइज करने को कहा

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : स्मार्ट सिटी के तौर पर चंडीगढ़ का प्रदर्शन लगातार पिछड़ रहा है। जिस कारण अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने केंद्र सरकार के हाउसिग और शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि उनके स्मार्ट सिटी प्लान को रिवाइज किया जाए ताकि वह भी अन्य शहरों की तरह अपना बेहतर प्रदर्शन कर सके। मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार ने देश के टॉप-20 स्मार्ट सिटी को सबसे पिछड़े 20 स्मार्ट शहरों को स्मार्ट बनने में मदद करने का फार्मूला बनाया है। जिसमें चंडीगढ़ को अहमदाबाद के साथ जोड़ा गया है। इसमें अहमदाबाद सिस्टर सिटी के तौर पर चंडीगढ़ की मदद करेगा ताकि जल्द चंडीगढ़ भी स्मार्ट बन सके। ऐसे में टारगेट के अनुसार सेक्टर-43 में कोई प्रोजेक्ट शुरू न होने के कारण ही पिछले साल स्मार्ट सिटी रैंकिग में चंडीगढ़ का 67वां नंबर आया था। चंडीगढ़ का स्मार्ट सिटी में नाम मई 2016 में आया था। अफसर मानते हैं कि काम नहीं होने से पिछड़ रहे हैं हम

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लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड अधिकारियों का कहना है कि उनका प्रदर्शन इसलिए पिछड़ रहा है क्योंकि प्लान के अनुसार जो उनके सेक्टर-43 में 4933 करोड़ रुपये के प्रस्तावित प्रोजेक्ट बनने थे, उन पर काम नहीं हो रहा है। क्योंकि वन विभाग ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए 70 एकड़ जमीन देने के लिए मना कर दिया है। जहां पर कमर्शियल हब बनना था। इसलिए पिछले साढ़े तीन साल से इन प्रोजेक्ट्स पर काम नहीं शुरू हो पाया। चार साल पहले मिला था दर्जा

साल 2016 में स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद इसके लिए 6500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का प्लान तैयार किया गया था। सीएससीएल की ओर से जो केंद्र सरकार को प्लान को रीवाइज करने को कहा गया है। उसके अनुसार 6500 करोड़ से कम होकर प्रोजेक्ट्स 2300 करोड़ रुपये के रह जाएंगे। केंद्र सरकार को भी वन विभाग की जमीन के स्टेटस को बताया गया है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने प्रशासन से भी सेक्टर-43 के बदले दूसरी जमीन मांगी है लेकिन प्रशासन भी जमीन देने के लिए तैयार नहीं है। हमारा प्रदर्शन खराब नहीं है : यादव

स्मार्ट सीइओ केके यादव का कहना है कि चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी का प्रदर्शन खराब नहीं है। सेक्टर-43 में जमीन न मिलने के कारण वहां पर बनने वाले कमर्शियल हब का काम शुरू नहीं हो पा रहा है जिसका प्रस्तावित ओवरऑल प्लान के अनुसार चंडीगढ़ का प्रदर्शन पिछड़ा हुआ दिख रहा है। कमर्शियल हब को स्मार्ट सिटी ने पीपीपी मॉडल पर तैयार करना था। इसलिए केंद्र सरकार से प्लान को रिवाइज करने की अपील की गई है। जमीन न मिलने के बाद अब स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 4933 करोड़ रुपये के प्रस्तावित प्रोजेक्ट स्क्रैप कर दिए हैं। यादव का कहना है कि बाकी प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम हो रहा है। स्मार्ट सिटी के इन प्रोजेक्ट्स पर इस समय चल रहा है काम

-डड्डूमाजरा के डंपिग ग्राउंड में 50 लाख टन कचरे के बने पहाड़ को प्रोसेस करना, 34 करोड़ रुपये की लागत से चल रहा है काम।

-सेक्टर-17 प्लाजा में ई-कार्ट की सुविधा शुरू हो गई है।

-साइकिल बाइक शेयरिग प्रोजेक्ट्स के तहत पांच हजार साइकिलें चलाने का काम अलॉट हो चुका है। छह माह में असर दिखना शुरू हो जाएगा।

-स्मार्ट सिटी के तहत जो इंटेग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर बनना है, उसका टेंडर पिछले सप्ताह बेल कंपनी को अलॉट हो गया।

-ई-गवर्नेस सिस्टम पर तेजी से काम चल रहा है। एक अप्रैल से प्रशासन और नगर निगम से जुड़ी सुविधाएं लोगों को घर बैठे ऑनलाइन मिलनी शुरू हो जाएगी। प्रोजेक्ट के तहत यह होने थे काम जो अब नहीं हो पाएंगे

-सेक्टर-43 में स्मार्ट सिटी के तहत बिजनेस एनवायरनमेंट क्रिएट करने के लिए एग्जीबिशन सेंटर, कन्वेंशन सेंटर, आर्ट गैलरी, एंटरटेनमेंट सेंटर, होटल, ऑफिस स्पेस, हॉस्टल फेसिलिटीज, आइकानिक एरिया, अफोर्डेबल हाउसेज बनाए जाने थे। लेकिन अब इनका निर्माण नहीं हो पाएगा।

-इसके अलावा यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्रमोट करना और पैदल चलने वालों के लिए उचित सुविधाएं प्रदान करना भी शामिल था। क्यों नहीं सेक्टर-43 की जमीन हो सकती है स्मार्ट सिटी में ट्रांसफर

प्रशासन ने 20 साल पहले सेक्टर-43 में 70 एकड़ जमीन फॉरेस्ट के हवाले कर दी थी ताकि इस पर झुग्गी वालों का कब्जा न हो। जमीन प्रशासन की है और इसे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को ट्रांसफर नहीं किया गया। कब्जे रोकने के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने सिर्फ पौधे लगाए। पौधे बड़े हो गए और अब यह एरिया फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा भेजे जाने वाले मिनिस्ट्री के रिकॉर्ड में आ गया। चंडीगढ़ का फॉरेस्ट एरिया भी इस जमीन की वजह से बढ़ा है। अब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इस जमीन को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।


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