'प्रयास' काव्य संग्रह की कविताओं में है भारत की माटी की खुशबू, चंडीगढ़ में हुई किताब की लांचिंग
काव्य संग्रह प्रयास का विमोचन बुधवार को गांधी स्मारक भवन सेक्टर-16 चंडीगढ़ के सभागार में किया गया। इस किताब को अमेरिका में कार्यरत निखिल डोगरा ने लिखा है। जिंदगी के उतार चढ़ाव ने निखिल पर गहरी छाप छोड़ी है जिसका अक्स काव्य संग्रह में दिखता है।
चंडीगढ़, जेएनएन। अमेरिका में कार्यरत निखिल डोगरा के काव्य संग्रह 'प्रयास' का विमोचन व चर्चा बुधवार को गांधी स्मारक भवन सेक्टर-16 चंडीगढ़ के सभागार में हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता गांधी स्मारक भवन के निदेशक डॉ. देवराज त्यागी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि प्रेम विज उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ कंचन त्यागी के मधुर भजन से हुआ। शुरुआत में निखिल के पिता डॉ. एमपी डोगरा ने काव्य संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ किया। संवाद साहित्य मंच के अध्यक्ष व कविवर प्रेम विज ने कहा कि प्रयास की कविताओं में भारतीय संस्कृति व माटी की खुशबू मिलती है। कवि कहता है जात से इंसान हूं मैं, गोत्र हिंदुस्तानी है। डॉ. त्यागी ने कहा निखिल इंजीनियरिंग के पेशे से होते हुए भी संवेदनशील हृदय रखते है। जिंदगी के उतार चढ़ाव ने निखिल पर गहरी छाप छोड़ी है जिसका अक्स काव्य संग्रह में दिखता है।
नीरू मित्तल ने कविताओं के बारे में बोलते हुए कहा कि निखिल डोगरा की कविताओं में रिश्तों व सामाजिक ताने बाने की बारिकियों को बेहद ही संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया गया है। डॉ. विनोद शर्मा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं ही एक पत्थर है और रास्ते में आने वाली हर मुश्किल को स्वयं ही हटाना है। हमें जीवन से हार नहीं माननी चाहिए और विश्वास रखना चाहिए कि जीत अवश्य होगी।
डॉ. अनीश गर्ग ने दोस्ती पर लिखी कविता का उदहारण देते हुए कहा कि आंसुओं से तेरे कंधे भिगोना चाहता हूं कहां है तू ए दोस्त, आज मैं फिर रोना चाहता हूं। काव्य संग्रह पर हुई चर्चा में सुभाष भास्कर, सरिता मेहता, राज विज, अमनदीप सिंह, पापिया चक्रवर्ती, अरुण जौहर, गुरप्रीत, आनंद राव, कंचन त्यागी इत्यादि ने हिस्सा लिया।